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________________ भाष्य-विषयानुक्रम ४२२ भगवई क्षीरविदारी ७/६६ क्षेत्रातिक्रान्तादि पान-भोजन ७/२४ ख खंजन राग से रंगा हुआ ६/१-४ खर-परुष ७/११७ खातिका ५/१८२-१६० खाद के समान रस वाले मेघ ७/११७ खार ३/२५८ - भवस्थ ३/१३१ चरिका ५/१८२-१६० चलन ३/१४३-१४८ चलणी (चरण-प्रमाण कर्दम)७/११८ चंडिक्किय ३/४५ चारों गतियों के साथ आयुष्य का सम्बन्ध ५/६२ चारित्र मोह की प्रकृति-कषाय और नोकषाय ५/६८-७१ चिकने किए हुए ६/१-४ चित्रल ७/११६ चिन्तन में ३/११४ चिल्लल ५/१८२-१६० चूर्णवर्षा ३/२६८ चेटक और कोणिक का युद्ध ७/१७३ चौबीस दण्डकों में उपचय, अपचय, उपचय-अपचय ५/२२५-२३३ चौबीस दण्डकों में वृद्धि, हानि, अवस्थिति ५/२०४-२२४ च्यावित ७/२५ च्युत ७/२५ गंडमाणिया ७/१५८-१५६ गन्धर्वनगर ३/२५३ गणनाकाल ६/१३२ गर्भ-संहरण की प्रक्रिया ५/७६-७७ गले का सुरक्षा-कवच पहना ७/१७६ गवेलय ७/११७ गाडी के पहिए की धुरी पर किए जाने वाले प्रक्षण ७/२५ गाढ़रूप में किए हुए ६/१-४ गिरिगृह ३/२६८ गिल्ली ३/१६४-१७१ गुंजालिका ५/१८२-१६० गुञ्जावात ३/२५३ गुच्छ ७/११७ गुल्म ७/११७ गोकिलिंञ ७/१५८,१५६ गोधूम (गोधूमाणं) ६/१२६-१३१ गोपुर ५/१८२-१६० ग्रहगर्जित ३/२५३ ग्रहदण्ड ३/२५३ ग्रहमुशल ३/२५३ ग्रहयुद्ध ३/२५३ ग्रहसिंघाटक ३/२५३ ग्रहापसव्य ३/२५३ ग्लान-भक्त ५/१३६-१४६ छद्मस्थ ७/१४६-१४E - और केवली के बीच जानने-देखने में भेदरेखा ५/६४-६६ - और केवली के बीच नींद के आधार पर भेदरेखा ५/७२-७५ - और केवली के बीच शब्द सुनने में भेदरेखा ५/६५-६७ छवि ७/११६ जइणवेग ३/११३ जम्बूद्वीप में सूर्य-वक्तव्यता ५/३-१२ जिमियभुत्तुत्तरागय ३/३३ जीवधन ५/२५४-२५७ जीव और चैतन्य ६/१७४-१८२ जीव का सादि-अनादित्व ६/३०-३२ जीवाजीवाभिगमे के ३६ सूत्रों का संक्षेप ७/६६ जीवा-प्रत्यञ्चा ५/१३४,१३५ जीवों की प्रवृत्ति-आरम्भ और परिग्रह ५/१८२-१६० जूरावण ३/१४३-१४८ जोईरस ३/४ ज्ञाति ३/३३ ज्ञान और शक्ति का भेद ५/११०,१११ घट्टन ३/१४३-१४८ चंद्र-परिवेश ३/२५३ चक्रवाल ३/१७२-१८२ चक्षुविक्षेप ३/११३ चय-उपचय ६/२०-२३ चरम ३/७२ - कर्म ५/६४-६६ - निर्जरा ५/६४-६६ झञ्झावत ३/२५३ झल्लरी (झल्लरी) ५/६४ to टंक ५/१८२-१६० टीले (उत्थल) ७/११७ टोलगति ७/११६ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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