SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 442
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाष्य-विषयानुक्रम ४२० भगवई आस्वादमान, विस्वादमान ३/३३ आहत नाट्यों, गीतों ३/४ आहार-उद्देशक ६/१८ आहारक-अनाहारक ७/१ इड्डरअ ७/१५८-१५६ इन्द्र ३/३४ - और पुरोहित से रिक्त थी (अजिंदा अपुरोहिया) ३/३६ - कील ३/११२ - के विविध नाम-मघवा, पुरन्दर ३/१०६ - ग्रह ३/२५८ इन्द्रिय और इन्द्रिय-विषय ७/१२७-१४५ इन्द्रिय-ज्ञान और केवली ५/१०६-१०६; ६/१८७,१८८ इन्धन-रहित ७/१०-१५ इह-पर-भविक आयुष्य का वेदन ५/५७,५८ ईर्यापथिकी क्रिया ३/१४३-१४८ असारगल्ल ३/४ असुरकुमार देवों के सौधर्म कल्प में जाने का हेतु ३/१३१ असुहदुक्खभागी ७/११६ अहरन (अहिरगणी) ६/१-४ अहालहुस्सगाई ३/९० आ आइण्ण ३/४ आउट्टति ७/६,७ आकडविकढिहिं ३/४५ आकार और भाव में अवतरण (आगारभावपडोयारे) ६/१३५ आकार-पर्याय का अवतरण ७/११७ आचार्य-उपाध्याय ५/१४७ आचार्य-उपाध्याय की सिद्धि ५/१४७ आच्छादन ७/१७७ आज्ञा ३/५१ आज्ञा-ईश्वर-सेनापत्य ३/४ आढाह ठितिपकप्पं पकरेह ३/३८ आत्मरक्षक ३/४ - देव सामानिक से चारगुना ३/२४५ आत्मा (आया)६/२०-२३ आत्मागम, अनन्तरागम, परम्परागम ५/६४-६६ आदान ५/१०८,१०६ आदेश (वचन)३/५१ आधाकर्म ५/१३९-१४६,७/१६५ - आदि आहार ५/१३६-१४६ आधिपत्य ३/४ आधोवधिक, परमाधोवधिक ७/१४६-१४६ आनुकम्पिक ३/७३ आपण ५/१८२-१६० आभियोगिक ३/२५७ आयत ५/१३४-१३५ आयुष्य-बन्ध ६/१५१ आयुष्य का प्रतिसंवेदन वर्तमान जीवन में ७/१०२ आयुष्य का बन्ध किस अवस्था में ७/१०६ आयुष्य की क्रम-श्रृंखला ५/५६-६१ आयुष्य-बन्ध का निर्धारण ७/१०१ आरगत ५/६५-६७ आरम्भ ३/१४३ से १४८ आराधक ३/७२ आराम ५/१८२-१६० आर्द्रमल (पंकिय) ६/२०-२३ आर्या ३/३४ आलिसंदग ६/१२-१३१ आसुरुत्त ३/४५ उक्कुडुअट्ठिग ७/११६ उग्गुंडिय ७/११६ उच्चं पणामं करेइ, नीयं पणामं करेइ ३/३४ उच्चतर, उन्नततर ३/५४ उच्छोलेइ पच्छोलेइ ३/११२ उच्छन्न ३/२६८ उच्छ्तिोदय ३/१६४-१७१ उज्ज्वल ५/१३८ - नेपथ्य से युक्त ७/१७५ उज्झर ५/१८२-१६० उत्कलिकावात ३/२५३ उत्तरवेउव्वियं रूवं ३/११२ उदकमत्स्य ३/२५३ उदकोत्पीड ३/२६३ उदकोझेद (उदब्भेया) ३/२६३ उदीरणा ३/१४३-१४८ उद्दाल६/१३५ उद्द्योत और अन्धकार ५/२३७-२४७ उद्वेजक (उज्वेयग) ३/२५८ उपकरण ५/१८२-१९० उपपात ३/५१ उल्कापात ३/२५३ उवग्गह (उपग्रह) ५/१३४-१३५ उवगिण्हह ५/७८-८२ उव्वहइ ५/१३४,१३५ Jain Education Intemational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy