SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तइओ उद्देसो : तीसरा उद्देशक मूल संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद वणस्सइ-आहार-पदं वनस्पति-आहार-पदम् वनस्पति-आहार-पद ६२. वणस्सइक्काइया णं भंते! कं कालं सब्बप्पा- वनस्पतिकायिकाः भदन्त! कं कालं सर्वाल्पा- ६२. ' भन्ते ! वनस्पतिकायिक जीव किस समय सबसे हारगा वा, सव्वमहाहारगा वा भवंति? हारकाः वा, सर्वमहाहारकाः वा भवन्ति? अल्प आहार करते हैं और किस समय सबसे अधिक आहार करते हैं ? गोयमा ! पाउस-वरिसारत्तेसु णं एत्थ णं गौतम ! प्रावृड्-वर्षारात्रेषु अत्र वनस्पति- गौतम ! प्रावृट् और वर्षाऋतु में वनस्पतिकायिक जीव वणस्सइकाइया सव्वमहाहारगा भवंति, तदा- कायिकाः सर्वमहाहारकाः भवन्ति, तदनन्तरं सबसे अधिक आहार करते हैं, तदनन्तर शरद् ऋतु णंतरं च णं सरदे, तदाणंतरं च णं हेमंते, च शरदि, तदनन्तरं च हेमन्ते, तदनन्तरं च में उससे अल्प, हेमन्त ऋतु में उससे अल्प, बसन्त तदाणंतरं च णं वसंते, तदाणंतरं च णं गिम्हे। वसन्ते, तदनन्तरं च ग्रीष्मे। ग्रीष्मेषु वनस्प- ऋतु में उससे अल्प और ग्रीष्म ऋतु में उससे अल्प गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा तिकायिकाः सर्वाल्पाहारकाः भवन्ति। आहार करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में वनस्पतिकायिक जीव भवंति॥ सबसे अल्प आहार करते हैं। । मास भाष्य १. सूत्र ६२ अभयदेवसूरि ने प्रावृट् ऋतु का प्रथम मास श्रावण और वर्षा ऋतु ऋतुएं छह होती हैं। ठाणं में उनका क्रम इस प्रकार है-प्रावृट, का प्रथम मास आश्विन बतलाया है।' जंबुद्दीवपण्णत्ती के अनुसार मास का वर्षा, शरद, हेमन्त, बसन्त, ग्रीष्म।' सूरपण्णत्ती में भी छह ऋतुओं का यही प्रारम्भ श्रावण से होता है। इस प्रसंग में ठाणं ६/६५ का टिप्पण द्रष्टव्य है। प्राचीन जैन ज्योतिष में तीन ऋतुएं ही मानी गई हैं। महावीर का क्रम उपलब्ध है। जंबुद्दीवपण्णत्ती के अनुसार ऋतु का प्रारम्भ प्रावृट् ऋतु से होता है। 'शार्ङ्गधर संहिता' के अनुसार एक वर्ष में सूर्य का मेष, वृष आदि जन्म ग्रीष्म ऋतु के प्रथम मास-चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को हुआ। भगवान् बारह राशियों पर संक्रमण होने के कारण ऋतुएं छह होती हैं। देखें तालिका ऋषभ को केवलज्ञान हेमन्त ऋतु के चतुर्थ मास फाल्गुन कृष्णा एकादशी को हुआ। सूरपण्णत्ती में भी चार-चार मास की ऋतुओं का उल्लेख मिलता है। राशियों पर सूर्य का संक्रमण ऋतु प्रावृट् और वर्षा-आषाढ़ से आश्विन तक के समय में वर्षा होती है, इसलिए वनस्पति को जल का आहार अधिक उपलब्ध होता है। इस १. मेष और वृष राशि पर ग्रीष्म वैशाख और ज्येष्ठ दृष्टि से इन दो ऋतुओं में वनस्पति को सर्वाधिक आहार करने वाला कहा गया २. मिथुन और कर्क राशि पर | प्रावृट् आषाढ़ और श्रावण है। शेष ऋतुओं में क्रमशः जल की अल्पता होती है और उस आधार पर ३. सिंह और कन्या राशि पर वर्षा भाद्रपद और आश्विन आहार की भी अल्पता होती है। ४. तुला और वृश्चिक राशि पर शरद् कार्तिक और मार्गशीष ५. धनु और मकर राशि पर । हेमन्त पौष और माघ ६. कुम्भ और मीन राशि पर बसन्त | फाल्गुन और चैत्र १. ठाणं, ६/६५/ (वर्षारात्र का अर्थ वर्षा ऋत है) सिंहकन्ये स्मृता वर्षातुलावृश्चिकयोः शरद् । २. सूर. १२/१४। धनुाही च हेमन्तो वसन्तः कुम्भमीनयोः ।। ३. जंबु. ७/१२६-'पाउसाइया उऊ। ५. भ. वृ. ७/६२-प्रावृट् श्रावणादिर्वर्षारात्रोऽश्ययुजादिः । ४. शाईधर संहिता, पूर्व खण्ड, भेषज्याख्यानक प्रकरण, शलोक ३५.३६ ६. जंबु. ७/१२६-सावणाइया मासा । ऋतुषट्कं तदाख्यातं रवेः राशिषु संक्रमात् । ७. आ. चू. १५/८। ग्रीष्मो मेषवृषी प्रोक्ती प्रावृण्मिथुनकर्कयोः ॥ ८. पज्जो . सू. १६६ । ६.सूर. १०/६३-७४ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education Intemational
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy