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भगवई
पृथ्वी / स्वर्ग
बालुकाप्रभा का अधोभाग पंकप्रभा का अधोभाग
धूमप्रभा का अधोभाग
तमः प्रभा का अधोभाग
तमस्तमप्रभा का अधोभाग
सौधर्म का अधोभाग
ईशान का अधोभाग
सनत्कुमार का अधोभाग
माहेन्द्र का अधोभाग
ब्रह्म का अधोभाग
लान्तक का अधोभाग
शुक्र का अधोभाग
सहस्रार का अधोभाग
आनत का अधोभाग
प्राणतज का अधोभाग
आरण का अधोभाग
स्वर्ग
सौधर्म का अधोभाग ईशान का अधोभाग
सनत्कुमार का अधोभाग माहेन्द्र का अधोभाग
ब्रह्म का अधोभाग
लान्तक का अधोभाग शुक्र का अधोभाग
सहस्रार का अधोभाग
आनत का अधोभाग
प्राणतज का अधोभाग
आरण का अधोभाग
अच्युतका अधोभाग नव ग्रैवेयक
पांच अनुत्तर
वर्षा
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बादर अप्काय
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अच्युतका अधोभाग नव ग्रैवेयक
पांच अनुत्तर
इस तालिका में बारह स्वर्गादि में बादर पृथ्वीकाय आदि के अस्तित्व या अभाव को दर्शाया गया है—
पृथ्वीका
बादर अग्निकाय
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बादर वायुकाय
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श. ६ : उ. ८ : सू. १३७-१५०
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देव,
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देव, असुर
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देव
असुर
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पहला और दूसरा स्वर्ग मनोदधि पर प्रतिष्ठित है, इसलिए वहाँ जल और वनस्पति दोनों का अस्तित्व है। वायु सर्वत्र व्याप्त है।'
१. भ. वृ. ६ / १४४- तथाऽब्वायुवनस्पतीनामनिषेधोऽपि सुगम एव, तयोरुदधिप्रतिष्ठितत्वेनान्वनस्पतिसम्भवाद् वायोश्च सर्वत्र भावादिति ।
बादर वनस्पतिकाय
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