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________________ श.६ : उ.३ : सू.५२,५३ २५४ भगवई सर्वस्तोक असंख्यातगुना २. संयत संयत संयतासंयत नोसंयत-नोअसंयतनोसंयतासंयत असंयत ९. परीत परीत नोपरीत-नोअपरीत - अपरीत - सर्वस्तोक अनन्तगुना अनन्तगुना अनन्तगुना अनन्तगुना - ३. दृष्टि सम्यक्मिथ्यादृष्टि सम्यग्दृष्टि मिथ्यादृष्टि - १०. ज्ञानी मन:पर्यवज्ञानी अवधिज्ञानी मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी सर्वस्तोक अनन्तगुना अनन्तगुना सर्वस्तोक असंख्यातगुना परस्पर तुल्य एवं अवधिज्ञानी से विशेषाधिक अनन्तगुना केवलज्ञानी ४. संज्ञी संज्ञी नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी - असंज्ञी सर्वस्तोक अनन्तगुना अनन्तगुना ११. अज्ञानी विभंगअज्ञानी मतिश्रुतअज्ञानी सर्वस्तोक परस्पर तुल्य एवं अनन्तगुना ५. भवसिद्धिक अभवसिद्धिक नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक - भवसिद्धिक सर्वस्तोक अनन्तगुना अनन्तगुना १२. योगी मनोयोगी वाग्योगी अयोगी काय योगी सयोगी ।। । । । सर्वस्तोक असंख्यातगुना अनन्तगुना अनन्तगुना विशेषाधिक ६. दर्शनी अवधिदर्शनी चक्षुदर्शनी केवलदर्शनी अचक्षुदर्शनी सर्वस्तोक असंख्यातगुना संख्यातगुना अनन्तगुना १३. आहारक अनाहारक आहारक ।। सर्वस्तोक असंख्यातगुना ७. पर्याप्तक नोपर्याप्तक-नोअपर्याप्तक अपर्याप्तक पर्याप्तक सर्वस्तोक अनन्तगुना संख्यातगुना १४. सूक्ष्म नोसूक्ष्म-नोबादर बादर । । । सर्वस्तोक अनन्तगुना असंख्यातगुना सूक्ष्म ८.भाषक भाषक अभाषक १५. चरम अचरम सर्वस्तोक अनन्तगुना सर्वस्तोक अनन्तगुना चरम ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।। तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त! इति। ५३. भन्ते! वह ऐसा ही है, भन्ते ! वह ऐसा ही है। Jain Education Intemational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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