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पढमो उद्देसो : पहला उद्देशक
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद
संग्रहणी गाथा
संग्रहणी गाथा
संगहणी गाहा १. वेदण २. आहार ३. महस्सवे य ४. सपदेश ५. तमुए ६. भविए। ७. साली ८. पुढ वी ९. कम्म १०.अण्णउत्थि दस छट्ठगम्मि सए॥
वेदनाहार-महास्रवाश्च सप्रदेश तमस् भव्यः। शालि: पृथिवी कर्माऽन्ययूथिका दश षष्ठके शते।।
वेदना, आहार, महाश्रव, सप्रदेश, तमस्काय, भव्य, शालि, पृथ्वी, कर्म और अन्ययूथिक-छठे शतक के दस उद्देशकों के ये प्रतिपाद्य हैं।
पसत्थनिज्जराए सेयत्त-पदं
प्रशस्तनिर्जराया: श्रेयस्त्व-पदम् १. से नूर्ण भंते ! जे महावेदणे से महानिज्जरे? तन् नूनं भदन्त ! य: महावेदन: स: महा-
जे महानिज्जरे से महावेदणे? महावेदणस्य निर्जर:? य: महानिर्जर: स: महावेदनः? य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थ- महावेदनस्य च अल्पवेदनस्य च स: श्रेयान् निज्जराए?
य: प्रशस्तनिर्जराक:?
प्रशस्त निर्जरा का श्रेयस्त्व-पद १. 'भन्ते! क्या जो महावेदना वाला है, वह महानिर्जरा वाला है? क्या जो महानिर्जरा वाला है, वह महावेदना वाला है ? महावेदना वाले और अल्पवेदना वाले में क्या वह श्रेयान् है जो प्रशस्त निर्जरा वाला है?
हंता गोयमा ! जे महावेदणे से महानिज्जरे, जे महानिज्जरे से महावेदणे, महावेदणस्य य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्ज-
हन्त गौतम ! य: महावेदन: स: महानिर्जर:, य: महानिर्जर: स: महावेदनः, महावेदनस्य च अल्पवेदनस्य च स: श्रेयान् य: प्रशस्तनिर्जराकः।
हां, गौतम ! जो महावेदना वाला है, वह महानिर्जरा वाला है? जो महानिर्जरा वाला है, वह महावेदना वाला है। महावेदना वाले और अल्पवेदना वाले में वह श्रेष्ठ है, जो प्रशस्त निर्जरा वाला है।
२. छट्ठ-सत्तमासु णं भंते ! पुढ वीसु नेरइया षष्ठी-सप्तम्यो: भदन्त! पृथिव्यो: नैरयिकाः २. भन्ते ! छठी और सातवीं पृथ्वियों के नैरयिक क्या महावेदणा? महावेदना:?
महादेदना वाले हैं? हंता महावेदणा॥ हन्त महावेदनाः।
हां, महावेदना वाले हैं।
३. ते णं भंते ! समणेहितो निग्गंथेहिंतो महा- ते भदन्त ! श्रमणेभ्यो निर्ग्रन्थेभ्यो महा- ३. भन्ते ! क्या वे श्रमण-निर्ग्रन्थों से महानिर्जरा वाले निज्जरतरा?
निर्जरतरा:? गोयमा! नो इणढे समढे॥ गौतम ! नायमर्थ: समर्थः।
गौतम! यह अर्थ संगत नहीं है।
४. से केणं खाइ अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- तत् केन 'खाई' अर्थेन भदन्त ! एवमुच्यते जे महावेदणे से महानिज्जरे? जे महानिज्जरे -य: महावेदन: स: महानिर्जर:? य: से महावेदणे? महावेदणस्य य अप्पवेदणस्स __महानिर्जर: स: महावेदन:? महावेदनस्य च य से सेए जे पसत्थनिज्जराए?
अल्पवेदनस्य च स: श्रेयान् यः प्रशस्तनिर्जराक:?
४. भन्ते ! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है जो
महावेदना वाला है, वह महानिर्जरा वाला है? जो महानिर्जरा वाला है, वह महावेदना वाला है? महावेदना वाले और अल्पवेदना वाले में वह श्रेष्ठ है जो प्रशस्त निर्जरा वाला है?
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