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________________ भगवई त्रिप्रदेशी स्कन्ध आकाश के तीन प्रदेशों में स्थित होता है, तब परमाणु सर्वात्मना उसके एक देश का स्पर्श करता है। जब उसके दो प्रदेश आकाश के एक देश में तथा एक प्रदेश आकाश के दूसरे प्रदेश में स्थित होता है, उस अवस्था में 'सर्वेण देशों' का विकल्प बनता है--परमाणु सर्वात्मना आकाश के एक प्रदेश में स्थित स्कन्ध के दो परमाणु रूप दो देशों का स्पर्श करता है। जब वह सूक्ष्मपरिणति के कारण आकाश के एक प्रदेश में स्थित होता है तब सर्वेण सर्वम् का विकल्प बनता है। त्रिप्रदेशी स्कन्ध एक अवयवी है। इसलिए एक आकाश-प्रदेश में स्थित उसके दो परमाणुओं को दो देश माना जा सकता है। द्विप्रदेशी स्कन्ध दिप्रदेश मात्र अवयवी है। इसलिए यह 'सर्वेष देशों' का विकल्प उसमें घटित नहीं होता। त्रिप्रदेशी स्कन्ध त्रिप्रदेशात्मक अवयव है। इसलिए एक अवयवी के दो देशों का स्पर्श घटित होता है, किन्तु द्विप्रदेशी स्कन्ध में दो ही प्रदेश होते हैं, इसलिए परमाणु किस अवयवी के दो प्रदेशों का स्पर्श करेगा? त्रिप्रादेशिक स्कन्ध के दो प्रदेशों का स्पर्श करने पर एक अवशिष्ट रह जाता है, इसलिए 'सर्वेण देशों' का विकल्प घटित होता है। - द्विप्रदेशी स्कन्ध परमाणु का स्पर्श करता है, तब दो विकल्प बनते हैं- "देशेन सर्वम्" और "सर्वेण सर्वम्" । द्विप्रदेशी स्कन्ध आकाश के परमाणु - खंघाणं संठिइ-पदं १६९. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा ! जहणणेणं एवं समयं उनकोसेणं असंखेज्वं काली एवं जाव अणतपएसओ १७०. एगपएसोगाढे णं भंते! पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे, अण्णम्मि वा ठाणे कालओ केवच्चिरं होई? गोयमा ! जहणणेणं एवं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । एवं जाव असंखेज्जपएसो गाढे ॥ १९५ श. ५ : उ. ७ : सू. १६८-१७१ दो प्रदेशों में स्थित होता है, तब वह अपने देश से सर्व परमाणु का स्पर्श करता है। वह आकाश के एक प्रदेश में अवस्थित होता है, तब 'सर्वेण सर्वम्' यह विकल्प घटित होता है। द्विप्रदेशी स्कन्ध का द्विप्रदेशी स्कन्ध से स्पर्श होता है तब चार विकल्प बनते हैं- १. दोनों द्विप्रदेशी स्कन्ध आकाश के दो प्रदेशों में अवस्थित हैं, तब 'देशेन देशम्' यह विकल्प बनता है। २. दो आकाश-प्रदेशों में स्थित द्विप्रदेशी स्कन्ध एक आकाशप्रदेश में स्थित द्विप्रवेशी स्कन्ध का स्पर्श करता है, तब 'देशेन सर्वम्' विकल्प पटित होता है। ? गोयमा ! जहणणेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे ॥ Jain Education International ३. एक आकाश-प्रदेश में स्थित द्विप्रदेशी स्कन्ध दो आकाशप्रदेशों में स्थित द्विप्रदेशी स्कन्ध का स्पर्श करता है, तब 'सर्वेष देशम् ' विकल्प बनता है। ४. आकाश के एक-एक प्रदेश में स्थित दोनों द्विप्रदेशी स्कन्धों का स्पर्श होता है तब 'सर्वेन सर्वम्' विकल्प बनता है। इसी पद्धति से त्रिप्रदेशी स्कन्ध की वक्तव्यता जाननी चाहिए। परमाणु स्कन्धानां संस्थिति पदम् - परमाणुपुद्गलः भदन्त ! कालत: कियच्चिरं भवति? गौतम । जघन्येन एक समयम्, उत्कर्षेण असंख्येयं कालम् एवं यावद् अनन्तप्रदेशिकः। एक प्रदेशावगाढः भदन्त ! पुद्गलः सैज: तस्मिन् वा स्थाने, अन्यस्मिन् वा स्थाने कालतः कियच्चिरं भवति ? १७१. एगपएसोगाढे णं भंते ! पोग्गले निरेए एक प्रदेशावगाढः भदन्त ! पुद्गलः निरेज: कालओ केवच्चिरं होइ ? कालतः कियच्चिरं भवति ? गौतम ! जघन्येन एक समयम, उत्कर्षेण आवलिकयाः असंख्येयभागम्। एवं यावद् असंख्येयप्रदेशावगाढः। गीतम जपन्येन एक समयम्, उत्कर्षेण असंख्येयं कालम् । एवं यावद् असंख्येयप्रदेशावगाढः। For Private & Personal Use Only परमाणु स्कन्धों की संस्थिति का पद १ १६९, भन्ते ! परमाणु-पुद्गल काल की दृष्टि से (परमाणु-पुद्गल के रूप में) कितने समय तक रहता 87 गौतम ! जघन्यतः एक समय, उत्कर्षतः असंख्येय काल इसी प्रकार यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कन्ध तक वही कालावधि है। १७०. भन्ते ! आकाश के एक प्रदेश में अवगाढ़ प्रकम्प पुद्गल उस अधिकृत स्थान में अथवा किसी दूसरे स्थान में काल की दृष्टि से कितने समय तक रहता है? गौतम ! जघन्यतः एक समय, उत्कर्षतः आवलिका का असंख्यातवां भाग । इसी प्रकार यावत् असंख्य प्रदेशावगाढ संप्रकम्प पुद्गल की यही कालावधि है। १७१. भन्ते ! आकाश के एक प्रदेश में अवगाढ़ अप्रकम्प पुद्गल काल की दृष्टि से कितने समय तक रहता है? गौतम ! जघन्यतः एक समय, उत्कर्षतः असंख्येय काल । इसी प्रकार यावत् असंख्य प्रदेशावगाढ़ अप्रकम्प पुद्गल की यही कालावधि है। www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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