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मूल
परमाणु-खंधाणं एयणादि-पदं
१५०. परमाणुपोग्गले णं भंते एयति वेयति ! चलति फंद पट्टा खुम्बइ उदीरख तं तं भावं परिणमति ?
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गोमा ! सिय एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति सिय नो एयति जाब नो तं तं भावं परिणमति ॥
गोमा ! सिय एयति जाव तं तं भावं परिजयति सिय नो एयति जाब नो तं तं भावं परिणमति । सिय से यति, देसे नो एयति ।।
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सत्तमो उद्देसो : सातवां उद्देशक
१५१. दुप्पएसिएनं भंते! खंधे एयति जाव तं द्विप्रदेशिकः भदन्त ! स्कन्धः एते यावत् तं भावं परिणमति ? तं तं भावं परिणमति ?
१५२. तिप्पएसिए पं भंते । खंधे एयति? गोमा ! सिय एयति, सिय नो एयति । सिय देखे एयति नो देसे एयति सिय देखे एवति, । नो देसा एवंति सिव देखा एवंति नो देखे ।
एयति ॥
१५३. चएसिए णं भंते! खंधे एयति ?
।
गोवमा! सिव एवति, सिय नो एवति सिय देखे एवति, जो देसे एयता सिय देखे एयति नो देसा एवं ति] सिय देसा एवंति नो देसे एयति । सिय देसा एयंति, नो देसा एयंति।
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संस्कृत छाया
परमाणु -स्कन्धानाम् एजनादि-पदम् परमाणुपुद्गलः भदन्त ! एजते व्येजते चलति स्पन्दते घटते क्षुभ्यति उदीरयति तं तं भावं परिणमति ?
गौतम ! स्याद् एजते व्येजते यावत् तं तं भावं परिणमति स्यानो एजते यत्रो तं तं भावं परिणमति !
गौतम ! स्याद् एजते यावत् तं तं भावं परिणमति । स्यानो एजते यावन्नो से तं भावं तं परिणमति । स्याद् देशः एजते, देश: नो एजते।
त्रिप्रदेशिक : भदन्त ! स्कन्ध: एजते ? गौतम ! स्याद् एजते, स्यान्नो एजते । स्याद् देश एजते नो देशः एते। स्याद् देशः एजते, नो देशा: एजन्ते। स्याद देशा: एजन्ते, नो देश: एजते ।
चतुःप्रदेशिका भदन्त । स्कन्धः एजते?
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गीतम स्वाद एजते, स्यान्नो एजते। स्याद् ! देश: एजते नो देश एजते। स्याद देश: एजले, नो देशाः एजन्ते स्वाद देशाः एजन्ते, नो देश एजते। स्याद् देशा: एजन्ते नो 'देशा: एजन्ते।
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हिन्दी अनुवाद
परमाणु-स्कन्धों का एजनादि पद
१५०. 'भन्ते ! क्या परमाणु- पुद्गल एजन, व्येजन, चलन, स्पन्दन, प्रकम्पन, क्षोभ और उदीरणा करता है, नए-नए भाव में परिणत होता है? गौतम! कदाचित् वह एजन, व्जन करता है यावत् नए-नए भाव में परिणत होता है, कदाचित यह एजन नहीं करता यावत नए-नए भाव में परिणत नहीं होता।
१५१. भन्ते ! क्या द्विप्रदेशिक स्कन्ध एजन करता है यावत् नए-नए भाव में परिणत होता है? गौतम ! कदाचित् वह एजन करता है यावत् नए-नए भाव में परिणत होता है। कदाचित् वह एजन नहीं करता यावत् नए-नए भाव में परिणत नहीं होता। कदाचित् उसका एक देश एजन करता है, एक देश एजन नहीं करता ।
१५२. भन्ते ! क्या त्रिप्रदेशिक स्कन्ध एजन करता है? गौतम! कदाचित् वह एजन करता है, कदाचित् एजन नहीं करता । कदाचित् उसका एक देश एजन करता है, एक देश एजन नहीं करता। कदाचित् उसका एक देश एजन करता है, अनेक देश एजन नहीं करते। कदाचित उसके अनेक देश एजन करते हैं, एक देश एजन नहीं करता ।
१५३. भन्ते ! क्या चतुः प्रदेशिक स्कन्ध एजन करता है?
गौतम! कदाचित वह एजन करता है, कदाचित एजन नहीं करता । कदाचित् उसका एक देश एजन करता है, एक देश एजन नहीं करता । कदाचित् उसका एक देश एजन करता है, अनेक देश एजन नहीं करते। कदाचित उसके अनेक देश एजन करते हैं. एक देश एजन नहीं करता। कदाचित् उसके अनेक देश एजन करते हैं, अनेक देश एजन नहीं करते।
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