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________________ विषयानुक्रम सूत्र आमुख १ से ४ था उद्देशक ०१-०५ ५ से ८ वां उद्देशक ०६ सूत्र आमुख प्रथम उद्देशक ०१-०३ ०४-१६ १७-२० २१-३० दूसरा उद्देशक ३१-५० ५१-५४ ५५,५६ तीसरा उद्देशक ६८-७१ ७२-७५ ७६, ७७ ७८-८२ ८३-८८ ८९-९२ ९३ संग्रहणी गाथा जम्बूद्वीप में सूर्यवक्तव्यता- पद जम्बूद्वीप में दिवस रात्रि वक्तव्यता- पद जम्बूद्वीप में अयनादि वक्तव्यता- पद लवणसमुद्रादि में सूर्यादि की वक्त व्यता का पद ५७,५८ ५९-६३ - चौथा उद्देशक ६४-६७ Jain Education International आयुष्य - प्रकरण - प्रतिसंवेदना-पद सायुष्यसंक्रमण पद १६ चौथा शतक पृष्ठ सूत्र नव उद्देशक महाशुक्र प्रश्न का पद देवों की नोसंयतवक्तव्यता का पद देवभाषा-पद ११५ छद्मस्थ और केवली द्वारा शब्दश्रवण-पद छद्मस्थ और केवली का हास्य-पद छदस्थ और केवली का निद्रा पद गर्भ-पद अतिमुक्तक-पद से समागत देवों द्वारा ११७-११८ ११९ १२५-१२६ वायु-पद १३६-१४० ओदन आदि किसके शरीर का पद १४०-१४२ लवण समुद्र-पद १४२ पांचवां शतक पृष्ठ सूत्र ९४-९९ १२७ १२७ १२८ १३२ १३२-१३३ १३३-१३५ १४३-१४५ १४५-१४८ १४९ - १५३ १५३-१५५ १५५-१५६ १५६-१५७ १५७-१५८ १५९-१६१ ०७ दसवां उद्देशक ८, ९ १६१-१६२ १६२-१६३ - पद ११०,१११ केवलियों की योग चंचलता पद ११२ ११४ चतुर्दशपूर्वियों का सामर्थ्य-पद पांचवां उद्देशक ११५ मोक्ष-पद ११६ १२१ एवंभूत-अनेवंभूत वेदना-पद १२२,१२३ कुलकर आदि पद छठा उद्देशक पृष्ठ छास्थ और केवली का ज्ञान-भेद १६३-१६४ -पद १६४-१६६ १०० - १०२ केवली के प्रणीत- मन-वचन- पद १०३-१०७ अनुत्तरोपपातिक देवों द्वारा केवली के १६६-१६८ १२४,१२५ अल्पायु-दीर्घायु-पद १२६, १२७ अशुभ- शुभ-दीर्घायु-पद १२८-१३२ क्रय-विक्रय क्रिया-पद १३३ १३४, १३५ १३६, १३७ १३८ १३९-१४६ साथ आलाप पद १०८-१०९ केवलियों के इन्द्रिय ज्ञान का निषेध- १६८-१६९ For Private & Personal Use Only अग्निकाय में महाकर्म आदि-पद धनुः प्रक्षेप में क्रिया-पद भगवई अन्ययूथिक पद नैरयिक विक्रियापद पृष्ठ आराधनादि-पद आचार्य - उपाध्याय का सिद्धि-पद अभ्याख्यानी के कर्मबन्ध पद १४७ १४८, १४९ सातवां उद्देशक १५०-१५३ परमाणु-स्कन्धों का एजनादि पद १२० १२१ १७५ १७५-१७६ १७६-१७८ १७९ १७९-१८१ १८१-१८२ १८२-१८३ अधाकर्म आदि आहार के सम्बन्ध में १८३-१८५ १६९-१७० १७०-१७१ १७२ १७२-१७४ १७४ १८५ १८६ १८७-१८९ www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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