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चउत्थो उद्देसो : चौथा उद्देशक
मूल
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद
छउमत्थ-केवलीणं सद्दसवण-पदं
छदमस्थ-केवलिनो: शब्दश्रवण-पदम् छद्मस्थ और केवली द्वारा शब्दश्रवण का पद ६४. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से आउडिज्ज- छद्मस्थ: भदन्त ! मनुष्य: आकुट्यमानान् ६४.'भन्ते ! क्या छद्मस्थ मनुष्य (वाद्ययंत्रों को) पीटे माणाई सद्दाई सुणेइ, तं जहा—संखसद्दाणि शब्दान् शृणोति, तद् यथा-शङ्खशब्दान् जाने पर उत्पन्न शब्दों को सुनता है, जैसे- शंखवा, सिंगसद्दाणि वा, संखियसद्दाणि वा, वा, शृङ्गशब्दान् वा, शखिकाशब्दान् वा, शब्द, सींग-शब्द, छोटे शंख का शब्द, काहला का खरमुहीसद्दाणि वा,पोयासाणिवा, पिरिपिरि- खरमुखीशब्दान् वा, 'पोया'शब्दान् वा, शब्द, बड़ी काहला का शब्द, वीणा-शब्द, पणवयासद्दाणि वा, पणवसद्दाणि वा, पडहसद्दाणि __'पिरिपिरिया'शब्दान् वा, पणवशब्दान् वा, शब्द, पटह-शब्द, भंभा-शब्द, होरंभ (बड़े ढोल) वा, भभासद्दाणि वा, होरंभसद्दाणि वा, पटहशब्दान् वा, भंभाशब्दान् वा, हो- का शब्द, भेरी-शब्द, झल्लरी-शब्द, दुन्दुभि-शब्द, भेरिसद्दाणि वा, झल्लरीसद्दाणि वा, दुंदुभि- रंभशब्दान् वा, भेरीशब्दान् वा, झल्लरी- तत (वीणा आदि वाद्यों के शब्द), वितत (पटह आदि सद्दाणि वा, तताणि वा, वितताणि वा, शब्दान् वा, दुन्दुभिशब्दान् वा, ततानि वा, के शब्द), घन (कांस्य ताल आदि के शब्द) और घणाणि वा, झुसिराणि वा?
विततानि वा घनानि वा शुषिराणि वा? शुषिर' (बांसुरी आदि के शब्द )?
हंता गोयमा ! छउमत्थे णं मणुस्से आउडि- हन्त गौतम ! छद्मस्थो मनुष्य: आकु- हां गौतम ! छद्मस्थ मनुष्य आकुट्यमान शब्दों को ज्जमाणाई सद्दाई सुणेइ, तं जहा—संख- ट्यमानान् शब्दान् शृणोति, तद् यथा- सुनता है, जैसे—शंख-शब्द यावत् शुषिर-शब्द। सद्दाणि वा जाव झुसिराणि वा।
शङ्खशब्दान् वा यावत् शुषिराणि वा। ताई भंते! किं पुट्ठाई सुणेइ? अपुट्ठाई सुणेइ? तान् भदन्त ! किं स्पृष्टान् शृणोति? अस्पृष्टान् भंते ! क्या वह उन स्पृष्ट शब्दों को सुनता है अथवा शृणोति?
अस्पृष्ट शब्दों को सुनता है? गोयमा ! पुट्ठाई सुणेइ, नो अपुट्ठाई सुणे।।। गौतम ! स्पृष्टान् शृणोति, नो अस्पृष्टान् गौतम ! वह स्पृष्ट शब्दों को सुनता है, अस्पृष्ट शब्दों
शृणोति।
को नहीं सुनता। जाई भंते ! पुट्ठाई सुणेइ ताई किं ओगाढाई
भन्ते ! वह जिन स्पृष्ट शब्दों को सुनता है, क्या उन सुणेइ? अणोगाढाई सुणेइ?
अवगाढान् शृणोति? अनवगाढान् शृणोति? अवगाढ़ शब्दों को सुनता है अथवा अनवगाढ़ शब्दों
को सुनता है? गोयमा ! ओगाढाई सुणेइ, नो अणोगाढाई गौतम ! अवगाढान् शृणोति, नो अनवगाढान् गौतम ! वह अवगाढ़ शब्दों को सुनता है, अनवगाढ़ सुणे।। शृणोति?
शब्दों को नहीं सुनता। जाई भंते ! ओगाढाई सुणेइ ताई किं अणंत- यान् भदन्त ! अवगाढान् शृणोति तान् किम् । भन्ते ! वह जिन अवगाढ़ शब्दों को सुनता है, क्या रोगाढाई सुणेइ? परंपरोगाढाई सुणेइ? अनन्तरावगाढान् शृणोति? परम्परावगाढान् । उन अनन्तरावगाढ़ शब्दों को सुनता है अथवा शृणोति?
परम्परावगाढ़ शब्दों को सुनता है? गोयमा ! अणतरोगाढाई सुणेइ, नो परंपरो- गौतम ! अनन्तरावगाढान् श्रृणोति, नो पर- गौतम ! वह अनन्तरावगाढ़ शब्दों को सुनता है, गाढाई सुणेइ। म्परावगाढान् शृणोति।
परम्परावगाढ़ शब्दों को नहीं सुनता। जाई भंते ! अणंतरोगाढाई सुणेइ ताई किं यान् भदन्त ! अनन्तरावगाढान् शृणोति तान् । भन्ते ! वह जिन अनन्तरावगाढ़ शब्दों को सुनता है, अणूई सुणेइ? बादराई सुणेइ ? किम् अणून शृणोति? बादरान् शृणोति? क्या उन अणु (सूक्ष्म) शब्दों को सुनता है अथवा
बादर (स्थूल) शब्दों को सुनता है? गोयमा! अणूइं पि सुणेइ, बादराई पि सुणेइ। गौतम ! अणूनपि शृणोति, बादरानपि गौतम! वह अणु शब्दों को भी सुनता है, बादर शब्दों शृणोति।
को भी सुनता है।
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