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________________ भगवई प्रारम्भ करता है, तब उसे दक्षिणायन कहते हैं सर्वबाह्य मंडल से सूर्य जब उत्तर दिशा की ओर गति करता है, तब उसे उत्तरायण कहते हैं। एक अयन में सूर्य को १८३ मंडल पार करना होता है। उत्कृष्ट दिन और जघन्य दिन की दूरी १८-१२ = ६ मुहूर्त की होती है। सूर्य १८३ मंडलों में ६ मुहूर्त की दूरी पार करता है इसलिए एक मंडल में मुहूर्त या मुहूर्त्त चलता है। १८३ ६१ सर्वाभ्यन्तर मंडल से दूसरे मंडल में सूर्य आता २ १७५९ १८ मुहूर्त का हो जाता है। उधर रात्रि १२-१२ ६१ ६१ हो जाती है। जितना दिन घटता है, उतनी ही रात्रि बढ़ती है। क्योंकि दिन का ३ = रात्रि १३ मुहूर्त्त की होती है। ३० या बढ़ता रहता है । ३० - मंडल = २ है। मान और रात्रि का मान का योग ३० मुहूर्त्त होता है। प्रतिदिन मुहूर्त दिन घटता जाता है और रात्रि बढ़ती जाती है। जब दिन १७ मुहूर्त्त का होता है तब १३१ १३. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवाइ, तया णं उत्तरड्ढे वि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ; जया णं उत्तरढे वासाणं पढने समए पडिवजह, तथा गं जंबुद्दीवे दीवे मंदरम्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं अनंतरपुरक्खडे समयंसि वासाणं पढमे सम पडिवचाई ? है, तब दिन २ मुहूर्त की मंडलों में गति करने से एक मुहूर्त्त घटता मंडला एक मंडल में मुहूर्त्त घटता ६१ = मंडल में – १ x १ मुहूर्त घटता है। इस क्रम से ज १७ मुहूर्त का दिन होता है तब रात्रि १३ मुहूर्त की होती है। जब १६ मुहूर्त दिन होता है, तब रात्रि १४ मुहूर्त की होती है। जब १५ मुहूर्त का दिन होता है तब रात्रि १५ मुहूर्त की होती है। जब १४ मुहूर्त का दिन होता है तब रात्रि १६ मुहूर्त की होती है। जब १३ मुहूर्त का दिन होता है, तब रात्रि १७ हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिगड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तह चैव जाव पडिवज्जइ ॥ १४. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं पच्चत्थिमे णवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ; जया णं पच्चत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं Jain Education International श. ५ : उ. १ : सू. ३ - १४ मुहूर्त की होती है। जब १२ मुहूर्त का दिन होता है तब रात्रि १८ मुहूर्त की होती है। उत्कृष्ट दिन १८ मुहूर्त्त का और जघन्य दिन १२ मुहूर्त का होता है। उसी क्रम में जघन्य रात्रि १२ मुहूर्त की और उत्कृष्ट रात्रि १८ मुहूर्त की होती है। आधुनिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी के उत्तर गोलार्द्ध और दक्षिण गोलार्द्ध में दिन रात का परिमाण व्युत्क्रम से चलता है। जिस समय उत्तर गोलार्द्ध में उत्कृष्ट दिन का परिमाण होता है उस समय दक्षिण गोलार्द्ध में उत्कृष्ट रात्रि का परिमाण होता है। उदाहरणार्थ उत्तर गोलार्द्ध के भारत में जब दिन अठारह मुहूर्त का होता है तब दक्षिण गोलार्द्ध के अर्जेन्टिना में रात्रि अठारह मुहूर्त परिमाण वाली होती है। १. भ. वृ. ५/८ - अहारसमुहुत्ताणंतरे' त्ति यदा सर्वाभ्यन्तरमण्डलानन्तरे मण्डले वर्त्तते सूर्यस्तदा मुहूर्त्तेकषष्टिभागद्वयहीनाष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति, स चाष्टादशमुहूर्त्तादिवसादनन्तरोऽष्टादशमुहूर्त्तानन्तरमिति व्यपदिष्टः । शब्द विमर्श वि यह 'णं' और 'अवि' का संधिनिष्पन्न रूप है। -- अनन्तर- - सर्वाभ्यन्तर मण्डल के अनन्तर मण्डल में जब सूर्य आता है तब दिन का परिमाण अठारह मुहूर्त्त से कुछ कम होता है। यह कमी मुहूर्त की होती है। इसलिए 'अठारसमुहुत्ताणंतरे' का तात्पर्य है— अठारह मुहूर्त से कुछ कम परिमाण वाला। यहाँ 'अनन्तर' शब्द अनन्तर मण्डल में सूर्य की अवस्थिति को सूचित करने वाला है।" ६१ यदा भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे दक्षिणार्द्धे वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते, तदा उत्तरार्द्धेऽपि वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते, यदा च उत्तरार्द्ध वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते, तदा जम्बूदीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्वपश्चिमे अनन्तरपुरस्कृते समये वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते ? हन्त गौतम ! यदा जम्बूद्वीपे द्वीपे दक्षिणार्द्ध वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते, तथा चैव यावत् प्रतिपद्यते। यदा भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते, तदा पश्चिमेऽपि वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते; यदा पश्चिमे वर्षाणां प्रथमः समयः प्रतिपद्यते, तदा जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य For Private & Personal Use Only १३. भंते! जिस समय जम्बूदीप द्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिणार्द्ध में वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है, उस समय उत्तरार्द्ध में भी वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है, जिस समय उत्तरार्द्ध में वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है, उस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के पूर्व-पश्चिम भाग में वर्षा के प्रथम समय के अनन्तर आने वाले समय में वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है? हां, गौतम ! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में मेरु पर्वत के दक्षिणार्द्ध में वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है उस समय यावत् वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है। १४. भंते! जिस समय जम्बूद्वीप द्वीप में गेरु पर्वत के पूर्व भाग में वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है, उस समय पश्चिम भाग में भी वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है, जिस समय पश्चिम भाग में वर्षा का प्रथम समय प्रतिपन्न होता है उस समय जम्बूद्वीप www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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