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________________ नवमो उद्देसो : नवां उद्देशक मूल संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद २७६. रायगिहे जाव एवं वयासी-कइविहे णं राजगृहे यावद् एवमवादीत्-कतिविधः भदन्त! २७६. राजगृह नगर में भगवान गौतम भगवान भंते! इंदियविसए पण्णत्ते? इन्द्रयविषय इन्द्रियविषयः प्रज्ञप्तः? महावीर की पर्युपासना करते हुए इस प्रकार वोले-भन्ते! इन्द्रियों के विषय कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं: गोयमा! पंचविहे इंदियविसए पण्णत्ते, तं गौतम! पंचविधः इन्द्रियविषयः प्रज्ञप्तः, तद् गीतम! इन्द्रियों के विषय पाच प्रकार के प्रज्ञप्त जहा-सोतिदियविसए चक्खिदियविसए यथा-श्रोत्रेन्द्रिविषयः चक्षुरिन्द्रियविषयः हैं, जैसे-श्रोत्रेन्द्रिय-विषय, चारिन्द्रिय-विषय, घाणिंदियविसए रसिदियविसए फासिंदिय- घ्राणेन्द्रियविषयः रसनेन्द्रियविषयः स्पर्श- घ्राणेन्द्रिय-विषय, रसनेन्द्रिय-विषय और स्पर्शनेन्द्रियविसए। जीवाभिगमे जोइसियउद्देसओ नेयव्वो नेन्द्रियविषयः । जीवाभिगमे ज्योतिष्कोद्देशकः विषय । जीवाभिगम में ज्यातिप्क-सम्बन्धी उद्देशक अपरिसेसो॥ नेतव्यः अपरिशेषः। यहां अविकल रूप से ज्ञातव्य है। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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