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दसमो उद्देसो : दसवां उद्देशक
मूल
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद
२८०. रायगिहे जाव एवं वयासी-चमरस्स राजगृहे यावद् एवमवादीच्-चमरस्य भदन्त! २८०. राजगृह नगर में भगवान् गातम भगवान
णं भंते! असुरिंदस्स असुररण्णो कइ असुरेन्द्रस्य असुरराजस्य कति परिषदः महावीर से इस प्रकार बोले-भन्ते! अरेन्द्र परिसाओ पण्णत्ताओ? प्रज्ञप्ताः ?
असुरराज चमर के कितनी परिषद प्रज्ञप्त हैं: गोयमा! तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं गौतम! तिस्रः परिषदः प्रज्ञप्ताः, तद् गौतम! तीन परिपदं प्रज्ञप्त हैं, जैसे-शमिता, जहा-समिया, चंडा, जाया। एवं जहाणु- यथा-शमिता, चण्डा, जाता। एवं यथानुपूर्व्या चण्डा और जाता। इस प्रकार क्रमशः अच्युतकल्प पुवीए जाव अच्चुओ कप्पो ॥ यावद् अच्युतः कल्पः।
तक ज्ञातव्य है।
२८१. सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥
तदेवं भदन्त! तदेवं भदन्त! इति।
२८१. भन्ते! वह ऐसा ही है, भन्ते! वह ऐसा ही
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