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भगवई
श.१: उ.१: सू.१६-२१
१६. नेरइयाणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला नैरयिकाणां भदन्त ! पूर्वाहताः पुद्गलाः १६. 'भन्ते ! क्या नैरयिक जीवों के पूर्वगृहीत परिणया? परिणताः ?
पुद्गल परिणत हुए हैं ? आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परि- आहृताः आह्रियमाणाः पुद्गलाः परिणताः ? पूर्वगृहीत और गृह्यमाण पुद्गल परिणत हुए हैं ? णया ? अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला अनाहताः आहरिष्यमाणाः पुद्गलाः परि- पूर्वअगृहीत और भविष्य में गृह्यमाण पुद्गल परिणया? णता:?
परिणत हुए हैं ? अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला अनाहताः अनाहरिष्यमाणाः पुद्गलाः। पूर्वअगृहीत और भविष्य में अगृह्यमाण पुद्गल परिणया ? परिणता?
परिणत हुए हैं ? गौतम ! नैरयिकाणां पूर्वाहृताः पुद्गलाः परि- गौतम ! नैरयिक जीवों के पूर्वगृहीत पुद्गल परिणया। णताः।
परिणत हुए हैं। आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परिणया आहृताः आह्रियमाणाः पुद्गलाः परिणताः । पूर्वगृहीत और गृह्यमाण पुद्गल परिणत हुए और परिणमंति य। परिणमन्ति च।
परिणत हो रहे हैं। अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला अनाहताः आहरिष्यमाणाः पुद्गलाः नो। पूर्वअगृहीत और भविष्य में गृह्यमाण पुद्गल णो परिणया, परिणमिस्संति। परिणताः, परिणस्यन्ति।
परिणत नहीं हुए हैं, किन्तु वे परिणत होंगे। अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला अनाहताः अनाहरिष्यमाणाः पुद्गलाः नो। पूर्वअगृहीत और भविष्य में अगृह्यमाण पुद्गल णो परिणया, णो परिणमिस्संति ।। परिणताः, नो परिणस्यन्ति।
परिणत नहीं हुए हैं और परिणत नहीं होंगे।
१७. नेरइयाणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला नैरयिकाणां भदन्त ! पूर्वाहृताः पुद्गलाः १७. भन्ते ! क्या नैरयिक जीवों के पूर्वगृहीत पुद्गल चिया? पुच्छाचिताः ? पृच्छा
चित हुए हैं ? यह प्रश्न है। जहा परिणया तहा चिया वि।। यथा परिणताः तथा चिताः अपि । जैसे परिणत का सूत्र है, चित का सूत्र भी वैसे
ही वक्तव्य है।
१५. एवं उवचिया, उदीरिया, वेइया, निजि-
प्रणा।
एवम् उपचिताः, उदीरिताः, वेदिताः, नि- १८. इसी प्रकार उपचित, उदीरित, वेदित और जीर्णाः।
निर्जीर्ण वक्तव्य हैं।
संग्रहणी गाथा
संगहणी गाहा
परिणय चिया उवचिया उदीरिया वेइया य निजिण्णा। एकेक्कम्मि पदम्मि, चउबिहा पोग्गला होति ॥१॥
संग्रहणी गाथा परिणताः चिताः उपचिताः, उदीरिताः वेदिताश्च निर्जीर्णाः। एकैकस्मिन् पदे, चतुर्विधाः पुद्गलाः भवन्ति ॥
परिणत, चित, उपचित, उदीरित, वेदित और निर्जीर्ण- इनमें से प्रत्येक पद में पुद्गल के पूर्वोक्त चार भंग होते हैं।
१६. नेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला भिजं- नैरयिकाणां भदन्त ! कतिविधाः पुद्गलाः १६. भन्ते ! नैरयिक जीवों के पुदगलों का भेदन भिद्यन्ते ?
कितने प्रकार का होता है ? गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच दुविहा गौतम ! कर्मद्रव्यवर्गणामधिकृत्य द्विविधाः गौतम ! कर्म-पुद्गल-वर्गणार की अपेक्षा से पोग्गला भिजंति, तं जहा-अणू चेव, पुद्गलाः भिद्यन्ते, तद् यथा-अणवश्चैव, पुद्गलों का भेदन दो प्रकार का होता है, जैसे बादरा चेव ॥ बादराश्चैव।
-अणु और बादर।
२०. नेरइयाणं भंते ! कइविहा पोग्गला नैरयिकाणां भदन्त ! कतिविधाः पुद्गलाः २०. भन्ते ! नैरयिक जीवों के पुद्गलों का चय चिजंति? चीयन्ते ?
कितने प्रकार का होता है ? गोयमा ! आहारदब्बवग्गणमहिकिच्च दुविहा गौतम ! आहारद्रव्यवर्गणामधिकृत्य द्विविधाः गौतम ! आहार-पुद्गल-वर्गणा की अपक्षा से पोग्गला चिजंति, तं जहा–अणू पुद्गलाः चीयन्ते, तद् यथा—अणवश्चैव, पुद्गलों का चय दो प्रकार का होता है, जैसेबादरा चेव ॥ बादराश्चैव।
अणु और बादर।
२१. एवं उवचिजंति ॥
एवम् उपचीयन्ते।
२१. इसी प्रकार उपचय वक्तव्य है।
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