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________________ भाष्यविषयानुक्रम ३०८ भगवई विषय पृष्ठ विषय पृष्ठ २१७ नियमान्तर निरावरण प्रभा १५८ निरुक्त २८४ २०६ २०६ २३३ ७५ २३० प्रशास्ता प्रस्थापित प्रहाण प्राणातिपात....मिथ्यादर्शनशल्य प्रायश्चित्त प्रायोपगमन प्रायोपगमन अनशन की अवस्था में २०६ १२६ २७१ २३० २६६ प्रार्थित ७० २१७ २६४ ११८ १०६ २२२ १८३ प्रासादावतंसक प्रासुक-एषणीय प्रीतिमन प्रेत्यभव फलकशय्या बंभण्णय बद्ध बन्ध करता है ११२ १८७ २०६ निरोध निर्ग्रन्थ-प्रवचन निर्जरण निर्झरिम या निहारि निश्छिद्र प्रश्नव्याकरण नैरयिक असंज्ञी आयु नैरयिक और पृथ्वीकायिक जीवों में अन्तर नैरयिक जीवों में आयुस्थिति व कषाय संज्ञा नैरयिकों का आहार एवं जीवन नैरियिकों के भंग पंडित पंडितमरण पत्तन पमाइयव्वं परमाधोवधिक पराक्रम परिचारणा-वेद परिनिर्वाणहेतुक परीषह पर्यंकासन पर्याप्ति और पर्याप्त पर्युपासना के लाभ पवित्रक पांच महाव्रतों की आरोपणा करूं २२८ । १५८ ७१ बल १०४ बलिकर्म बहुसम २५८ बाल २५० १६१ १८३,२३३ २४२ १५६ बाल, पंडित और बालपंडित का आयुष्य बालमरण के प्रकार बाल्य बिना विराम १८३ २४१ २१६ २७८ बोल १०४ २४६ पारग २०६ १२० १०० २३० २१५ १०७ १६७ २४६ २३३ ब्रह्मचर्यवास ब्राह्मी लिपि को नमस्कार भंग-शून्य भंते वह ऐसा ही है, भंते वह ऐसा ही है भक्तप्रत्याख्यान भङ्गान्तर भट भण्डमत्तोवगरण भवधारणीय भवसिद्धिक-सिद्धि-और सिद्धवाद भव्य भव्यद्रव्यदेव भाण्ड माण्डकरण्डक भारयुक्त और भारहीन पदार्थ भिक्षु-प्रतिमा भेदसमापन्न भोज ११४ १३५ १६६ १८३ २३३ २२० पीत आभावाले पुद्गल और जीव की त्रैकालिकता पुरुषकार पुरुषार्थवाद (आत्मकर्तृत्व) पृथ्वीयों में पृथ्वीशिलापट्ट पैत्तिक प्रकृति-उदीरणा की योग्यता प्रज्ञा प्रतिक्रमण प्रतिदिनभोजी प्रतिलोम भंग वक्तव्य हैं प्रतीप्सित प्रत्यय प्रफुल्लित उत्पल और अर्धविकसित कमल वाले प्रमत्त-अप्रमत्त का विभाग वक्तव्य नहीं है प्रमत्त संयत और अप्रमत्त संयत प्रमाणान्तर प्रमोक्ष प्रयोग से प्रवचनमाता प्रवचनान्तर और प्रवचनी-अतर २३३ १७४ ~ २३३ २३८ २११ २४६ २१५ २७१ ३५ मंगल मंगल-पद ४५ २११ ७८ १०४ २४६ मडम्ब मतान्तर मध्यरात्रि में मन को धारण करता हुआ...संवर करता हुआ मनोगत मरण-मीमांसा मल्ल २१७ प्रवर २७२ प्रव्राजित, मुण्डापित, शैक्षापित, शिक्षापित ३ ३ २३० २१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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