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________________ भगवई ३०७ भाष्यविषयानुक्रम विषय पृष्ठ विषय पृष्ठ १७१ १३५ १५७ २१८ २१५ तनुवात, घनवात, घनोदधि तन्मना तप के १४ विशेषण तर्क तलवर तल्लेश्य तापस तिर्यञ्च तुंगिकानगरी-श्रमणोपासक तुम्हारा (ते) तैजस व कार्मण के सत्ताईस भंग ६. १८३ २४१ १७ २६७ ६६ त्तिक? MANOOGm GANA २३४ त्रिदण्ड त्र्यणुकवाद fo २७६ ७४ २१७ १२,२१४ २०६ १७१ १२३ २०६ २१३ १४६ दर्शनभ्रष्ट स्वतीर्थिक-जैन मुनि वेषधारी दर्शानान्तर दायित्वपूर्ण दीक्षान्त भाषण दीर्धीकरण और हस्वीकरण दृष्टिगोचर देव के विशेषण-महर्चिक आदि देवत्व प्राप्त करने योग्य असंयमी देवसंनिपात देसं उवरमइ, देसं पञ्चक्खाइ देसेणं, देसं, सब्वेणं, सवं दोनों हथेलियों से निष्पन्न सम्पुट वाली....अंजलि को द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालतः, भावतः द्रष्टा के चित्त को प्रसन्न करने वाला....रमणीय द्रोणमुख ६७ १६१ गुरुत्व और लघुत्व गृध्रस्पृष्ट गोयमाइ गौतम के मन में एक श्रद्धा एक शंसय और एक कुतुहल जन्मा...प्रबलतम बना गौतमसगोत्र ग्राम ग्रामकण्टक चतुर्थ चतुर्दशपूर्वी, चार ज्ञान से समन्वित चतुर्दशी, अष्टमी....अनुपालन करने वाले चरक और परिव्राजक चरण चरित्रान्तर चलमान-चलित आदि नव पद चलित, अचलित (कर्म प्रक्रिया) चित, उपचित चिन्तित चैत्य छन्द छहों अंगो का वेत्ता जनसम्मर्द...जनसन्निपात जन्म और आयुष्यवाद जिन जिनस्थानों में जिसका जो नानात्व है वह ज्ञातव्य है जीवंजीव जीव-अजीववाद जीव और पुद्गल का सम्बन्ध जीव का लक्षण जीव-प्रतिष्ठित अजीव जीव-संगृहीत अजीव जीवास्तिकाय और जीव जीवों का भव-परिवर्तन ज्ञाता, ज्ञान देने वाले ज्ञान आदि का भवान्तर संक्रमण (पुनर्जन्म) ज्ञानान्तर ज्यौतिषायण ढके हुए णवरं-णेरइया णवरं-मणुस्सा गावकखइ तचित्त तत्तीव्राध्यवसान तत्त्वों के चार वर्गीकरण तथा तथारूप तदध्यवसित तदर्थोपयुक्त तदर्पितकरण तद्भवमरण तद्भावनाभावित १४४ ११६ १२१ २४४ १३४ २४६ २०१ २६० २६४ १३७ धन्य २२१ २४४ २३१ M २१८ १६ २२३ ६ १८ धमनिसंतत धर्मकथा धर्मजागरिका घाउरत्ताओ ध्यानकोष्ठक में लीन होकर ध्रुव न अति दूर और न अति निकट, ऊर्ध्वजानु ___अधःसिर (उकडू आसन की मुद्रा में) नगर नन्दित नमस्कार महामन्त्र नमस्कार महामन्त्र का मूल-स्रोत और कर्ता नयान्तर नाम-गौत्र निःश्रेयस निगम २२२ Wrm २१४ १८५ १५७ १५७ २६१ २३३ १५७,२१४ १५७ १५७ १५७ २२६ १५७ २१४ ४४ २०६ निघण्टु नित्य निधत्त निमित्त नियत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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