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भाष्यविषयानुक्रम
३०६
भगवई
विषय
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विषय
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२३३
कर्बट
२५१
७१ २६५
२४६
१०७
४५
१५२
१४५
KARMWWW
२६
१०४ २१६ १७६
२१६
२७५
२११
आया (आत्मा) आयु-क्षय, भव-क्षय और स्थिति-क्षय आयुष्य का अल्पबहुत्व आयोग और प्रयोग आरम्भ, अनारम्भ आलोचना और प्रतिक्रमण कर आवास आश्रम आहार के प्रकार आहार के सन्दर्भ में सबेणं देसं और सबेणं सब आहार-पुद्गल-वर्गणा आधोवधिक इभ्य इह-पर-भविक आयुष्य ईर्या ईस्वर उग्र तपस्वी......घोरब्रह्मचर्यवासी उधार-प्रस्रवण उच्चावच उच्छ्वास और निःश्वास उकुष्ट उत्तरवैक्रिय उत्तरासग उत्थान उत्पत्ति-निष्पत्तिवाद उत्पन्न ज्ञान-दर्शन के धारक उत्पत्रज्ञानदर्शनधर उत्पातपर्वत उदक-गर्भ उदय उदयानन्तर-पश्चात्कृत कर्म
२१५
२०६
१५३
१८३
१६१ २२१ १५३
२१६
११४
१६
२७२
१७७
कर्म की विभिन्न अवस्थाएं कर्मकृत कर्म के साथ काल का नियम कर्म ग्रहण की प्रक्रिया कर्म परिवर्तन का सिद्धांत कर्म-पुद्गल-वर्गणा कर्म-प्रतिष्ठित जीव कर्म-संगृहीत जीव कर्मवाद कर्म, वर्ण, लेश्या कर्म-वेदन कलकल कलुषसमापन कल्प कल्पान्तर कल्पोपपत्तिका कल्याण कवल-आहार कसौटी पर खचित स्वर्ण-रेखा तथा पद्म-केशर की भांति
पीताभ गौरवर्ण वाले कांक्षाप्रदोष कांक्षामोहनीय कांक्षामोहनीय कर्म के वेदन के प्रकार कांक्षामोहनीय का बन्ध आदि कांक्षित काचनिका कात्यायन कान्दर्पिक, किल्विषिक और आभियोगिक काययोग में भंग काल-समय काष्ठशय्या किटिकिटिकाभूत कुंडिका कुत्रिकापणभूत कृत कृतयोग्य केवल केवल इनका नानात्व ज्ञातव्य है केसरिका कौटुम्बिक कौतुक क्रिया क्रियावाद क्षत्रिय
७४ ८६
१६१
१०४
८० २११ २१७ २०६
२८३
२६०
११६
उदीरणा
७५,८६ ८६,१५८
१६६ २७६ १४४
१४४ १८३,२३३
१८३ १८३ २८४ २४६ २८०
१८३ २४४ २१७
२६६ ७४,१५८
२४७ १०३ ११७ २१७
उदीर्ण उद्दाति उद्देश उद्वर्तमान और उदृत्त उपपद्यमान और उपपत्र उपसर्ग उपस्थित उपहित उल्लोच-भूमि उषाकाल में पौ फटने पर उष्णजलकुण्ड उस काल और उस समय एकपादिक एत्यं, इहं ऐपिथिकी, साम्परायिकी ओराल औषध-भैषज्य काइ करण करोटिका
२१६
२७१
१२८
२४२
५६ २१५ २१४
१६३ २२१ २६७
४५ २१८
१२६
खेट गणेत्तिया गमनीय गर्ग गुणरल-संवत्सर-तपःकर्म
२३४ २१७
१५१ २४०
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