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भगवई
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श.१: उ.६: सू.३६२-४१६ सब पदार्थों के गुरु और लघु होने का अस्वीकार क्या।
समीक्षा की है। उनके मतानुसार गुरुता और लघुता गति के नियामक गति-नियम में बाधक नहीं बनेगा ? सामान्य धारणा है-गुरु वस्तु
तत्त्व नहीं हैं। उनके नियामक तत्त्व हैं-गतिपरिणाम और नीचे जाती है और लघु वस्तु ऊपर जाती है। पत्थर नीचे जाता है
वीर्यपरिणाम | इसलिए सर्वथा गुरु और सर्वथा लघु होने का अस्वीकार और धुआं ऊपर जाता है। जिनभद्रगणी ने इस प्रश्न की तर्कपर्ण गति-नियम में बाधक नहीं बनता।'
यहां तालिका में प्रस्तुत सूत्रों में उल्लिखित सभी द्रव्यों की गुरुत्व-लघुत्व सारणी दी जा रह रही है।
गुरु
लघु
गुरुलघु
अगुरुलघु
____ गुरु
लघु
गुरुलघु अगुरुलघु
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१. अवकाशान्तर
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२१. दर्शन
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२. तनुवात
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२२. ज्ञान
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२३. अज्ञान
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३. घनवात ४. घनोदधि ५. पृथ्वी
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२४. संज्ञा
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२५. औदारिकशरीर
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२६. वैक्रियशरीर २७. आहारकशरीर २८. तैजसशरीर |२६. कार्मणशरीर
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६. वर्ष ६.१०. नैरयिक यावत् x
वैमानिक ११. धर्मास्तिकाय ,x १२. अधर्मास्तिकाय १३. आकाशास्तिकाय
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३०. मनोयोग३१. वचनयोग ३२. काययोग ३३. साकार उपयोग ३४. अनाकार उपयोग x ३५. सर्वद्रव्य xx
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|१४. जीवास्तिकाय
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१५. पुद्गलास्तिकाय १६. समय १७. कर्म
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१८. कृष्ण आदि द्रव्य लेश्या
|३६. सर्वप्रदेश ३७. सर्वपर्यव ३८. अतीतकाल ३६. अनागतकाल ४०. सर्वकाल
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१६. कृष्ण आदि भाव लेश्या २०. दृष्टि
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अगुरुलघुद्रव्यं त्वरूपि रूपि चेति । व्यवहारतस्तु गुर्वादीनि चत्वार्यपि सन्ति, तत्र च निदर्शनानि—गुरुर्लाष्टोऽधोगमनात्, लघुघूमः ऊर्ध्वगमनात्, गुरुलघुर्वायु-
स्तिर्यग्गमनात्, अगुरुलघ्वाकाशं तत्स्वभावत्वादिति । १.वि.भा.गा.६५५-६६३--
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