SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवई ६५ श.१: उ.४ः सू.१७७-१८५ गोयमा ! बालवीरियत्ताए उवद्वाएजा। नो पंडियवीरियत्ताए उवट्ठाइजा। नो बाल- पंडियवीरियत्ताए उवद्वाएजा ॥ गौतम ! बालवीर्यतया उपतिष्ठेत । नो पण्डि- तवीर्यतया उपतिष्ठेत । नो बालपण्डितवीर्य- तया उपतिष्ठेत। गौतम ! वह बालवीर्य-भाव में उपस्थान करता है, पंडितवीर्य-भाव में उपस्थान नहीं करता, बालपंडितवीर्य-भाव में उपस्थान नहीं करता। १७८. जीवे णं भंते ! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिण्णेणं अवक्कमेजा ? जीवः भदन्त ! मोहनीयेन कृतेन कर्मणा उदी- १७८. भंते ! क्या पूर्वकृत मोहनीय कर्म के उदयऐन अपक्रामेत् ? काल में जीव अपक्रमण (आध्यात्मिक हास) करता है ? हन्त अपक्रामेत् । हां, अपक्रमण करता है। हंता अवक्कमेजा। १७६. से भंते ! किं वीरियत्ताए अवक्कमेजा? अवीरियत्ताए अवक्कमेजा ? गोयमा ! वीरियत्ताए अवकमेजा। नो अवीरियत्ताए अवक्कमेजा। स भदन्त ! किं वीर्यतया अपक्रामेत् ? १७६. भन्ते ! क्या वह वीर्य-भाव में अपक्रमण करता अवीर्यतया अपक्रामेत् ? है ? अवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है ? गौतम ! वीर्यतया अपक्रामेत् । नो अवीर्यतया गौतम ! वह वीर्य-भाव में अपक्रमण करता है, अपक्रामेत् ॥ अवीर्य-भाव में अपक्रमण नहीं करता । १९० जइ वीरियत्ताए अवक्कमेजा, किं- यदि वीर्यतया अपक्रामेत्, किं-बाल- १८०. यदि वह वीर्य-भाव में अपक्रमण करता है, तो बालवीरियत्ताए अवक्कमेजा ? पंडियवीरिय- वीर्यतया अपक्रामेत् ? पण्डितवीर्यतया अप- क्या-बालवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है? ताए अवक्कमेजा ? बालपंडियवीरियत्ताए कामेत् ? बालपण्डितवीर्यतया अपक्रामेत् ? पंडितवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है ? बालअवक्कमेजा ? पंडितवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है ? गोयमा ! बालवीरियत्ताए अवक्कमेजा। नो गौतम ! बालवीर्यतया अपक्रामेत्। नो गौतम ! वह बालवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है, पंडियवीरियत्ताए अवकमेजा। सिय बाल- पण्डितवीर्यतया अपक्रामेत्। स्यात् बाल- पंडितवीर्य-भाव में अपक्रमण नहीं करता, कदाचित् पंडियवीरियत्ताए अवक्कमेजा। पण्डितवीर्यतया अपक्रामेत्। वालपंडितवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है। १५१. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उवसंतेण उवद्वाएजा ? हंता उववाएजा॥ जीवः भदन्त ! मोहनीयेन कृतेन कर्मणा १८१. भन्ते ! क्या पूर्वकृत मोहनीय कर्म के उपउपशान्तेन उपतिष्ठेत? शमन-काल में जीव उपस्थान करता है ? हंत उपतिष्ठेत। हां, उपस्थान करता है। १६२. से भंते ! किं वीरियत्ताए उवट्ठाएजा ? अवीरियत्ताए उवढाएजा? गोयमा! वीरियत्ताए उवटाएज्जा । नो अवीरियत्ताए उवट्ठाएजा ॥ स भदन्त ! किं वीर्यतया उपतिष्ठेत ? १८२. भन्ते ! क्या वह वीर्य-भाव में उपस्थान करता अवीर्यतया उपतिछेत ? है ? अवीय-भाव में उपस्थान करता है ? गौतम ! वीर्यतया उपतिष्ठेत | नो अवीर्यतया । गौतम ! वह वीर्य-भाव में उपस्थान करता है, उपतिष्ठेत। अवीर्य-भाव में उपस्थान नहीं करता। १८३. जइ वीरियत्ताए उवहाएजा, किं- यदि वीर्यतया उपतिष्ठेत, किं-बालवीर्यतया १८३. यदि वह वीर्य-भाव में उपस्थान करता है, तो बालवीरियत्ताए उवट्ठाएजा ? पंडियवीरिय- उपतिष्ठेत ? पण्डितवीर्यतया उपतिष्ठेत ? क्या-बालवीर्य-भाव में उपस्थान करता है ? ताए उववाएजा ? बालपंडियवीरियत्ताए बालपण्डितवीर्यतया उपतिष्ठेत ? पंडितवीर्य-भाव में उपस्थान करता है ? बालउवट्ठाएजा? पण्डितवीर्य-भाव में उपस्थान करता है ? गोयमा ! नो बालवीरियत्ताए उवट्ठाएजा। गौतम ! नो बालवीर्यतया उपतिष्ठेत। गौतम ! वह बालवीर्य-भाव में उपस्थान नहीं पंडियवीरियत्ताए उववाएजा। नो बाल- पण्डितवीर्यतया उपतिष्ठेत । नो बाल- करता, पंडितवीर्य-भाव में उपस्थान करता है, पंडियवीरियत्ताए उवट्टाएजा॥ पण्डितवीर्यतया उपतिष्ठेत। बालपंडितवीर्य-भाव में उपस्थान नहीं करता। १८४. जीवे णं भंते ! मोहिणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उवसंतेणं अवक्कमेजा ? हंता अवक्कमेजा ॥ जीवः भदन्त ! मोहनीयेन कृतेन कर्मणा १८४. भन्ते ! क्या वह पूर्वकृत मोहनीय कर्म के उपशान्तेन अपक्रामेत् ? उपशमन-काल में अपक्रमण करता है ? हन्त अपक्रामत्। हां, अपक्रमण करता है। १५५. से भंते ! किं वीरियत्ताए अवक्कमेजा? अवीरियत्ताए अवक्कमेजा? स भदन्त ! किं वीर्यतया अपक्रामेत् ? १५५. भन्ते ! क्या वह वीर्य-भाव में अपक्रमण अवीर्यतया अपक्रामेत् ? करता है ? अवीर्य-भाव में अपक्रमण करता है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy