________________
मूल
कम्म-पदं
१७४ कति णं भंते ! कम्मष्पगडीओ पण्णत्ताओ ?
गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, कम्मपगडी पढमो उद्देसो नेयव्वो जावअणुभागो समत्तो ।
संग्रहणी गाहा
कति पगडी ? कहं बंधति ? कतिहि व ठाणेहिं बंधती पगडी ? कति वेदेति व पगडी ? अणुभागो कतिविहो कस्स ? ॥ १ ॥
उवद्वावण-अवक्कमण-पदं
१७५. जीवे णं भंते! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिण्णेणं उवट्ठाएञ्जा ?
चउत्थो उद्देसो : चौथा उद्देशक
संस्कृत छाया
कर्म-पदम्
कति भदन्त ! कर्मप्रकृतयः प्रज्ञप्ताः ?
गौतम ! अष्ट कर्मप्रकृतयः प्रज्ञप्ताः कर्मप्रकृत्याः प्रथमः उद्देशः नेतव्यः यावत्-अनु
भागः समाप्तः ।
Jain Education International
संग्रहणी गाथा
कति प्रकृतयः ? कथं बध्नाति ? कतिभिः वा स्थानैः बध्नाति प्रकृतीः ? कति वेदयति वा प्रकृतीः ? अनुभागः कतिविधः कस्य ॥
भाष्य
१. सूत्र १७४
कर्म की प्रकृतियां आठ हैं— ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र, अन्तराय ।
१७७. जइ वीरियत्ताए उवट्ठाएजा, किंबालवीरत्ताए उवडाएजा ? पंडियवीरियत्ताए उवडाएजा ? बालपंडियवीरित्ताए उवट्टाएजा ?
कर्म - पद
१७४. 'भन्ते ! कर्मप्रकृतियां कितनी प्रज्ञप्त हैं ?
हिन्दी अनुवाद
गौतम ! कर्मप्रकृतियां आठ प्रज्ञप्त हैं। कर्मप्रकृति (पण्णवणा पद २३) के प्रथम उद्देशक का अनुभाग समाप्त हुआ है - इस अंश तक यह ज्ञातव्य
हंता उबट्टाएजा ॥
१७६. से भंते ! किं वीरियत्ताए उवट्ठाएजा ? अवीरियत्ताए उवट्टाएजा ? गोयमा ! वीरियत्ताए उबट्टाएज्जा । णो गौतम ! वीर्यतया उपतिष्ठेत। नो अवीर्यतया अवीरित्ताए उवट्टाएजा ||
उपतिष्ठेत ।
संग्रहणी गाथा
कर्मप्रकृतियां कितनी हैं ? उनका बन्ध कैसे करता है ? उनका बन्ध कितने स्थानों (कारणों) से होता है ? कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन होता है ? किस कर्म का कितने प्रकार का अनुभाग ( रसविपाक) होता है ?
उपस्थापन - अपक्रमण-पदम्
उपस्थापन - अपक्रमण-पद
जीवः भदन्त ! मोहनीयेन कृतेन कर्मणा १७५. ' भन्ते ! क्या पूर्वकृत मोहनीय कर्म के उदयउदीर्णेन उपतिष्ठेत ? काल में जीव उपस्थान (आध्यात्मिक विकास)
करता है ?
हो, उपस्थान करता है।
For Private & Personal Use Only
हन्त उपतिष्ठेत ।
स भदन्त ! किं वीर्यतया उपतिष्ठेत ? १७६. भन्ते ! क्या वह वीर्य-भाव में उपस्थान करता अवीर्यतया उपतिष्ठेत ? है ? अवीर्य-भाव में उपस्थान करता है ? गौतम ! वह वीर्य-भाव में उपस्थान करता है, अवीर्य भाव में उपस्थान नहीं करता ।
यदि वीर्यतया उपतिष्ठेत, किं बालवीर्यतया उपतिष्ठेत ? पण्डितवीर्यतया उपतिष्ठेत ? बालपण्डितवीर्यतया उपतिष्ठेत ?
१७७ यदि वह वीर्य भाव में उपस्थान करता है, तो क्या — वालवीर्य भाव में उपस्थान करता है ? पंडितवीर्य-भाव में उपस्थान करता है ? बालपंडितवीर्य-भाव में उपस्थान करता है ?
www.jainelibrary.org