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मूल कंखामोहणिज-पदं ११५.जीवाणं भंते ! कंखामोहणिजे कम्मे
तइओ उद्देसो : तीसरा उद्देशक संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद काङ्क्षामोहनीय-पदम्
कांक्षामोहनीय-पद जीवानां भदन्त ! कांक्षामोहनीयं कर्म कृतम्? ११५.'भन्ते ! क्या जीवों के कांक्षामोहनीय कर्म
कृत' होता है ? हन्त कृतम्।
हां, कृत होता है।
कडे ?
हंता कडे॥
११६. से भंते ! किं १. देसेणं देसे कडे ?
२. देसेणं सब्वे कडे ? ३. सवेणं देसे कडे ? ४. सब्वेणं सब्वे कडे ?
गोयमा ! १. नो देसेणं देसे कडे २. नो देसेणं सव्वे कडे ३. नो सब्वेणं देसे कडे ४. सवेणं सब्वे कडे॥
तस्य भदन्त ! किं १. देशेन देशः कृतः ? ११६. भन्ते ! क्या १. देश के द्वारा देश कृत होता २. देशेन सर्वं कृतम् ? ३. सर्वेण देशः कृतः? है? २. देश के द्वारा सर्व कृत होता है? ३. सर्व ४. सर्वेण सर्वं कृतम् ?
के द्वारा देश कृत होता है? ४. सर्व के द्वारा सर्व
कृत होता है? गौतम ! १. नो देशेन देशः कृतः २. नो । गौतम ! १. देश के द्वारा देश कृत नहीं होता। देशेन सर्वं कृतम् ३. नो सर्वेण देशः कृतः । २. देश के द्वारा सर्व कृत नहीं होता। ३. सर्व ४. सर्वेण सर्वं कृतम् ।
के द्वारा देश कृत नहीं होता। ४. सर्व के द्वारा सर्व कृत होता है।
१२०. नेरइयाणं भंते ! कंखामोहणिजे कम्मे
कडे ? हंता कडे॥
नैरयिकाणां भदन्त ! कांक्षामोहनीयं कर्म १२०. भन्ते ! क्या नैरयिक जीवों के कांक्षामोहनीय कृतम् ?
कर्म कृत होता है ? हन्त कृतम्।
हां, कृत होता है।
१२१. से भंते ! किं १. देसेणं देसे कडे ?
२. देसेणं सब्बे कडे ? ३. सबेणं देसे कडे? ४. सवेणं सब्वे कडे ?
तस्य भदन्त ! किं १. देशेन देशः कृतः ? १२१. भन्ते! क्या १. देश के द्वारा देश कृत होता २. देशेन सर्वं कृतम् ?३. सर्वेण देशः कृतः? है? २. देश के द्वारा सर्व कृत होता है ? ३. सर्व ४. सर्वेण सर्वं कृतम् ?
के द्वारा देश कृत होता है ? ४. सर्व के द्वारा
सर्व कृत होता है ? गौतम ! १. नो देशेन देशः कृतः २. नो गौतम ! १. देश के द्वारा देश कृत नहीं होता। देशेन सर्वं कृतम् ३. नो सर्वेण देशः कृतः । २. देश के द्वारा सर्व कृत नहीं होता। ३. सर्व ४. सर्वेण सर्वं कृतम्।
के द्वारा देश कृत नहीं होता। ४. सर्व के द्वारा सर्व कृत होता है।
गोयमा ! १. नो देसेणं देसे कडे २. नो देसेणं सब्बे कडे ३. नो सब्वेणं देसे कडे ४. सवेणं सब्वे कडे ॥
१२२. एवं जाव वेमाणियाणं दंडओ
भाणियब्बो॥
एवं यावद् वैमानिकानां दण्डकः भणितव्यः। १२२. (असुरकुमारों से लेकर) वैमानिकों तक सभी
दण्डक इसी प्रकार वक्तव्य हैं।
१२३. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिजं कम्मं
करिंसु ? हंता करिसु॥
जीवा भदन्त ! काङ्क्षामोहनीयं कर्म अका- १२३. भन्ते ! क्या जीवों ने कांक्षामोहनीय कर्म
किये थे? हन्त अकार्षः।
हां, किये थे।
१२४.तं भंते ! किं १. देसेणं देसंकरिंसु?
२. देसेणं सबं करिंसु ? ३. सव्वेणं देसं करिंसु ? ४. सब्वेणं सव्वं करिसु?
तस्य भदन्त ! किं १. देशेन देशम् अकार्षः? १२४. भन्ते ! क्या उन्होंने १. देश के द्वारा देश २. देशेन सर्वम् अकार्षः ? ३. सर्वेण देशम् किया था ? २. देश के द्वारा सर्व किया था? अकार्षुः ? ४. सर्वेण सर्वम् अकार्षुः ? ३. सर्व के द्वारा देश किया था ? ४. सर्व के
द्वारा सर्व किया था?
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