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सूयगडो १
अध्ययन ११: प्रामुख अथवा-यह चावल के खेत का मार्ग है, यह गेहूं के खेत का मार्ग है। यह ग्राम मार्ग है, यह
नगर मार्ग है । यह मार्ग विदर्भ नगर का है, यह मार्ग हस्तिनागपुर का है। ४. कालमार्ग
जिस काल में जो मार्ग चालू होता है, वह कालमार्ग है। जैसे-वर्षा की रात्री में पानी का प्रवाह अपना मार्ग बनाकर बहता है, शिशिर या ग्रीष्म में व्यक्ति मूलमार्ग को छोड़कर उपमार्ग से जाता है, वह कालमार्ग है।
अथवा-जिस काल में गमनागमन किया जाता है, वह कालमार्ग है। जैसे ग्रीष्म ऋतु में रात्री में और हेमन्त ऋतु में दिन में गमनागमन सुखपूर्वक होता है ।
___ अथवा-जितने काल तक चला जाता है, वह कालमार्ग है। जैसे सूर्योदय होते चला और सांझ को पहुंच गया। वह कालमार्ग है।
सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन और सम्यग्चारित्र-यह भावमार्ग है । इसकी आराधना मोक्ष की आराधना है ।
कुछेक व्यक्ति निर्ग्रन्थ-शासन में प्रवजित होकर भी सुकुमार और सुखशीलक बनकर प्राणीघातकारक प्रवृत्तियों में रस लेते हैं । वे धर्म का उपदेश करते हुए भी कुमार्ग पर प्रस्थित हैं।
जो मुनि तप और संयम में अनुरक्त हैं, मुनि-गुणों से युक्त हैं, जो जैसा कहते हैं, वैसा करते हैं, जो जनकल्याणकारी हैं, उनके द्वारा प्रदर्शित मार्ग सुमार्ग है।
नियुक्तिकार ने मार्ग शब्द की गुणवत्ता के आधार पर तेरह एकार्थक शब्द दिए हैं।' वृत्तिकार ने उनकी भावमार्ग के आधार पर व्याख्या की है
१.पंथा-सम्यक्त्व की प्राप्ति । २. मार्ग-सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति । ३. न्याय -सम्यग्चारित्र की प्राप्ति । ४. विधि-सम्यग्ज्ञान और सम्यग्दर्शन की युगपद प्राप्ति । ५. धृति-सम्यग्दर्शन के होने पर सम्यग्चारित्र की प्राप्ति । ६. सुगति-ज्ञान और क्रिया का संतुलन । ७. हित-मुक्ति या उसके साधनों की प्राप्ति । ८. सुख-उपशम श्रेणी में आरूढ़ होने का सामर्थ्य । ६. पथ्य-क्षायक श्रेणी में आरूढ़ होने का सामर्थ्य । १०. श्रेणी-मोह की सर्वथा उपशान्तावस्था । ११. निर्वृति-क्षीणमोह की अवस्था । १२. निर्वाण-केवलज्ञान की प्राप्ति । १३. शिवकर-शैलेशी अवस्था की प्राप्ति ।
-ये शब्द व्याख्या भेद से भिन्न हो जाते हैं । ये मोक्षमार्ग के पर्यायवाची शब्द भी माने जा सकते हैं।' जम्बूस्वामी सुधर्मास्वामी को मोक्षमार्ग के विषय में दो प्रश्न पूछते हैं। पहले तीन श्लोकों में प्रश्न हैं और शेष तीन श्लोकों में उन प्रश्नों के उत्तर हैं । जम्बूस्वामी ने पूछा
१. भगवान् महावीर ने मोक्षप्राप्ति के लिए कौनसा मार्ग बतलाया है ?
२. लोगों के पूछने पर हम कौन से मार्ग का प्रतिपादन करें? १. नियुक्ति गाथा १०८ : पंथो णायो मग्गो विधी धितो सोग्गती हित सुहं च ।
पत्थं सेयं णेवुइ णेष्वाणं सिवकरं चेव ॥ २. वृत्ति, पत्र १९९, २००। ३. वृत्ति, पत्र २०० : एवमेतानि मोक्षमार्गत्वेन किञ्चिद् मेदाद् भेदेन व्याख्यातान्यभिधानानि, यदि वैते पर्यायशब्दा एकाथिका मोक्ष
मार्गस्येति।
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