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________________ सूयगटो १ ७३. इणमेव खणं वियाणिया णो सुलभं बोहि च आहिये । एवं सहिएऽहिपासए आह जिणे इणमेव सेसगा | १६ | ७४. अभवसु पुरा वि भिक्खवो आएसा वि भविसु सुव्वया । एया गुणाई आहू कासवरस अणुधम्मचारिणो | २० | ७५. तिबिहेण वि पाण मा हणे आपहिए अणियाण संबुडे । एवं सिद्धा अनंतगा संपद जे व अणागवावरे |२१| ७६. एवं से उदाहू अणुतरणाणी अणुत्तरवंसी अणुत्तरणाणदंसणधरे । बरहा णायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए | २२ | -त्ति बेमि ॥ Jain Education International ax विजानीयात्, इममेव क्षणं नो सुलभा वोभिश्व आहूता । सहित: अधिपश्यति, बाह जिनः इदमेव शेषकाः ।। एवं श्र० २ : वैतालीय : श्लोक ७३-७६ ७३. 'इसी क्षण को‍ जानो ।' यह आख्यात बोधि " सुलभ नहीं है—यह जानकर ज्ञानी मनुष्य ( उस सत्य को देखे। यह बात ऋषभ ने अपने पुत्रों से ) कहीं। शेष तीर्थकरों ने भी (जनता से ) यही कहा । अभुवन् पुराऽपि भिक्षवः !, आगमिष्या अपि भविष्यन्ति सुव्रताः । एतान् गुणान् बस्ते, काश्यपस्य अनुधर्मचारिणः ॥ विविधेन अपि प्राणान् मा हन्यात् आत्महितः अनिदानः संवृतः । एवं सिद्धा अनन्तकाः, संप्रति ये च अनागता अपरे ॥ एवं स उदाह अनुत्तरज्ञानी, अनुत्तरदर्शी अनुत्तरज्ञानदर्शनघरः । अर्हन् ज्ञातपुत्रः, भगवान वैज्ञालिकः व्याहृतः । - इति ब्रवीमि ॥ For Private & Personal Use Only ७४, हे श्रेष्ठव्रती भिक्षुओ ! अतीत में भी जिन हुए हैं और भविष्य में भी होंगे । उन्होंने इन ( अहिंसा आदि ) गुणों का निरूपण किया है। उन्होंने काश्यप (भगवान् ऋषभ ) के. द्वारा प्रतिपादित धर्म का ही प्रतिपादन किया है । ७५. साधक मन, वचन और काया, कृत, कारित और अनुमति इन तीनों प्रकारों से किसी भी प्राणी की हिंसा न करे, आत्मा में लीन रहे, सुखों की अभिलाषा न करे, इन्द्रिय और मन का संयम करे। इन गुणों का अनुसरण कर अनन्त मनुष्य (अतीत में) सिद्ध हुए है कुछ वर्तमान में) हो रहे हैं और (भविष्य में होंगे। ७६. अनुत्तरानी अनुत्तरदर्शी, अनुत्तरज्ञान दर्शनधारी पुत्र वंशा लिक और व्याख्याता भगवान् ने ऐसा कहा है। Tou - ऐसा मैं कहता हूं। www.jainelibrary.org
SR No.003592
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Suyagado Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages700
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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