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________________ अट्ठारणउइइमो समवायो : अठानवेवां समवाय मूल संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद १.नंदणवणस्स णं उवरिल्लाओ नन्दनवनस्य उपरितनात चरमान्तात चरिमंताओ पंडयवणस्स हेढिल्ले पण्डकवनस्य अधस्तनं चरमान्तं, एतत् चरिमंते, एस णं अट्ठाणउई अष्टनवति योजनसहस्राणि अबाधया जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे अन्तरं प्रज्ञप्तम् । पण्णते। १. नंदनवन के उपरितन चरमान्त से पण्डकवन के नीचे के चरमान्त का व्यवधानात्मक अंतर अठानवे हजार योजन का है। २. मंदरस्स णं पग्वयस्स मन्दरस्य पर्वतस्य पाश्चात्यात पच्चथिमिल्लाओ चरिमंताओ चरमान्तात् गोस्तूपस्य आवासपर्वतस्य गोथुभस्स आवासपव्वयस्स पौरस्त्यं चरमान्तं, एतत् अष्टनवति पुरथिमिल्ले चरिमंते, एस णं योजनसहस्राणि अबाधया अन्तरं अट्ठाणउइं जोयणसहस्साई प्रज्ञप्तम् । अबाहाए अंत्तरे पण्णत्ते। २. मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से गोस्तूप आवास-पर्वत के पूर्वी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर अठानवे हजार योजन का है। ३. एवं चउदिसिपि। एवं चतुर्दिक्षु अपि । ३. मन्दर पर्वत के उत्तरी चरमन्ति से दकावभास आवास-पर्वत के दक्षिणी चरमान्त का, मन्दर पर्वत के पूर्वी चरमान्त से शंख आवास-पर्वत के पश्चिमी चरमान्त का और मन्दर पर्वत के दक्षिणी चरमान्त से दकसीम आवास-पर्वत के उत्तरी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर अठानवे-अठानवे हजार योजन का है। ४. दाहिणभरहद्धस्स णं धणुपट्टे दक्षिणभरतार्द्धस्य धनुःपृष्ठं अष्टनवति अट्ठाणउई जोयणसयाई योजनशतानि किञ्चिद्नानि आयामेन किंचणाई आयामेणं पण्णत्ते। प्रज्ञप्तम् । ४. दक्षिण भरत का धनुःपृष्ठ कुछ न्यून अठानवे सौ योजन लम्बा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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