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टिप्पण
१. सूत्र १
प्रस्तुत आलापक में चन्द्र और सूर्य-दोनों के परिवार का उल्लेख है। वृत्तिकार का कथन है कि यद्यपि यह परिवार
चन्द्र का ही सुना जाता है, किन्तु सूर्य भी ज्योतिष चक्र का इन्द्र होने के कारण उसका भी यही परिवार जानना चाहिए।' २,३. दृष्टिवाद के सूत्र अठासी (दिट्ठिवायस्स णं अट्ठासीई सुत्ताई)
देखें-समवाय २२/२ का टिप्पण। ४,५. सूर्य गति करता है (सूरिए "चरइ)
सूर्य जब दक्षिणायन में गति करता है तब दिन अठारह मुहूर्त का होता है। वह प्रत्येक मंडल को दो अहोरात्र में पार करता है। प्रत्येक मंडल में - मुहर्त प्रमाण दिन कम होता जाता है। इस प्रकार जब वह चौवालीसवें मंडल में जाता
तान
है तब
प्रमाण दिन कम हो जाता है। इसी प्रकार चौवालीसवें मंडल में रात-- मुहर्त प्रमाण
बढ़ती है।
सूर्य जब उत्तरायण में गति करता है तब प्रति मंडल में - मुहूत्तं प्रमाण दिन बढ़ता है और इसी प्रमाण में रात कम होती जाती है। जब सूर्य चौवालीसवें मंडल में पहुंचता है, तब दिन 5 मुहूर्त प्रमाण अधिक और उसी प्रमाण
में रात कम होती है।
१. समवायांयवृत्ति, पत्र : एकैकस्यासंख्यातानामपि प्रत्येकमित्यर्थः, चन्द्रमाश्च सूर्यश्च चन्द्रम सूर्य तस्य चन्द्रसूर्ययुगलस्य इत्ययः, षष्टाशीतिमहाग्रहा: एते च यद्यपि चन्द्रस्यैव
परिवारोऽन्यत्न श्रयते तथापि सूर्यस्यापोन्द्रत्वादेत एव परिवारतयाऽवसेया इति । २. समवायांगवृत्ति, पब ८७, ८५।
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