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________________ ८७ सत्तासीइइमो समवायो : सत्तासिवां समवाय मूल संस्कृत छाया १. मंदरस्स णं पव्वयस्स मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्यात् पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ चरमान्तात गोस्तृपस्य आवासपर्वतस्य गोथभस्स आवासपव्वयस्स पाश्चात्यं चरमान्तं, एतत् पच्चथिमिल्ले चरिमंते, एस जं सप्ताशीति योजनसहस्राणि अबाधया सत्तासीई जोयणसहस्साई अन्तरं प्रज्ञप्तम । अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। हिन्दी अनुवाद १. मन्दर पर्वत के पूर्वी चरमान्त से गोस्तूप आवास-पर्वत के पश्चिमी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर सत्तासी हजार योजन का है। २.मंदरस्स णं पम्वयस्स मन्दरस्य पर्वतस्य दाक्षिणात्यात् दक्खिणिल्लाओ चरिमंताओ चरमान्तात दकावभोसस्य आवासदओभासस्स आवासपब्वयस्स पर्वतस्य उत्तरीयं चरमान्तं, एतत् उत्तरिल्ले चरिमंते, एस णं सप्ताशीति योजनसहस्राणि अबाधया सत्तासीइं जोयणसहस्साई अन्तरं प्रज्ञप्तम् । अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। २. मन्दर पर्वत के दक्षिणी चरमान्त से दकावभास आवास-पर्वत के उत्तरी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर सत्तासी हजार योजन का है। ३.मंदरस्सणं पव्वयस्स मन्दरस्य पर्वतस्य पाश्चात्यात पच्चथिमिल्लाओ चरिमंताओ चरमान्तात् शंखस्य आवासपर्वतस्य संखस्स आवासपव्वयस्स पौरस्त्यं चरमान्तं, एतत सप्ताशीति परथिमिल्ले चरिमंते, एस णं योजनसहस्राणि अबाधया अन्तरं सत्तासीइं जोयणसहस्साई प्रज्ञप्तम् । अबाहाए अंतरे पण्णत्ते। ३. मन्दर पर्वत के पश्चिमी चरमान्त से शंख आवास-पर्वत के पूर्वी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर सत्तासो हजार योजन का है। ४.मंदरस्स णं पव्वयस्स उत्तरिल्लाओ मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरीयात चरिमंताओ दगसीमस्स चरमान्तात दकसीमस्य आवासपर्वतस्य आवासपव्वयस्स दाहिणिल्ले दाक्षिणात्यं चरमान्तं, एतत सप्ताशीति चरिमते, एस णं सत्तासीइं योजनसहस्राणि अबाधया अन्तरं जोयणसहस्साई अबाहाए प्रज्ञप्तम् । अंतरे पण्णत्ते। दकसीम आवास-पर्वत के दक्षिणी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर सत्तासी हजार योजन का है। ५. छण्डं कम्मपगडीणं आतिम- षण्णां कर्मप्रकृतीनां आदिम उपरितन- उरिल्लवज्जाणं सत्तासीई वर्जानां सप्ताशीतिः उत्तरप्रकृतयः उत्तरपगडीओ पण्णत्ताओ। प्रज्ञप्ताः । ५. आदि अन्त की कर्म-प्रकृतियों को छोड़ कर शेष छह कर्म-प्रकृतियों की उत्तर-प्रकृतियां सत्तासी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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