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समवाश्री
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२. बयासी दिन-रात ( बासीए राईदिएहि )
श्रमण भगवान् महावीर आषाढ़ शुक्ला छठ को देवानन्दा के गर्भ में आए । बयासी दिन-रात बीत जाने पर अर्थात् आश्विन कृष्णा त्रयोदशी को शक्रेन्द्र की आज्ञा से, हरिणेगमेषी देव ने देवानन्दा के गर्भ से महावीर का अपहरण कर त्रिशला महारानी के गर्भ में रख दिया।
१. समवायांगवृत्ति, पत्र ८३ ।
३. बयासी सौ योजन (बासीइ जोयणसयाई)
रत्नप्रभा पृथ्वी के तीन कांड हैं- खरकांड, पंककांड और अब्बहुलकांड । खरकांड सोलह प्रकार का है। सभी कांड हजार-हजार योजन प्रमाण के हैं । सौगंधिककांड आठवां है। अतः वहां तक आठ हजार योजन हुए । महाहिमवान् दूसरा वर्षधर पर्वत है । वह दौ सौ योजन ऊंचा है। उसके ऊपर के चरमान्त से सौगंधिककांड के नीचे के चरमान्त तक व्यासी सौ योजन का अन्तर है ।
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समवाय ८२ : टिप्पण
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