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________________ समवाश्रो २४५ समवाय ७१ : टिप्पण गति करता हुआ चन्द्र युग के चौथे वर्ष की चतुर्थ मास की कार्तिकी पूर्णिमा को ११२ वें मंडल में पहुंचता है। चौथे चन्द्रसंवत्सर में हेमन्त ऋतु मृगशिर कृष्णा १ को प्रारम्भ होता है। सूर्य शेष मंडलों को हेमन्त ऋतु के ७१ दिनो में पार करता हैं, अर्थात् वह माघ शुक्ला १३ को दक्षिणायन से उत्तरायण में गति करता है । ज्योतिष्करंड में पांच युग संवत्सर संबंधी उत्तरायण और दक्षिणायन की तिथियों का अनुक्रम इस प्रकार है' दक्षिणायन श्रावण मास कृष्णा एकम कृष्णा त्रयोदशी पहली आवृत्ति दूसरी आवृत्ति तीसरी आवृत्ति चौथी आवृत्ति पांचवीं आवृत्ति १. समवायांगवृत्ति, पन ७७ । २. बही, पत्र ७७ ॥ Jain Education International उत्तरायण माघमास कृष्ण सप्तमी शुक्ल चतुर्थी कृष्णा एकम कृष्णा त्रयोदशी शुक्ला दशम २. इकहत्तर लाख पूर्वी तक ( एक्कसत्तार पुव्वसयसहस्साइं ) ये अठारह लाख पूर्व तक कुमार अवस्था नें और तिरपन लाख पूर्व तथा एक पूर्वाङ्ग तक राज्य का पालन करते रहे । जो एक पूर्वाङ्ग अधिक है, उसकी यहां विवक्षा नहीं की गई है । ' शुक्ला दशम कृष्णा सप्तमी शुक्ला चतुर्थी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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