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ईशानकल्प के विमानों की ऊंचाई-प्र०२० सनत्कुमार स्थिति-२०१८3३।२०४।१४।५।१८, ६।१३७।१७ विमानों की संख्या-५२।५; प्र० १५२
विमानों की ऊंचाई-प्र० ३१ । माहेन्द्र
स्थिति-२११६३।२०,४।१४।५।१८,६।१३;७११८ विमानों की संख्या-५२०५; प्र० ८३,१५२ विमानों की ऊंचाई--प्र० ३१
आरण
स्थिति–२०११३; २१६ विमानों की संख्या-प्र० २,१५२
विमानों की ऊंचाई-प्र०४८ अच्युत
स्थिति--२१।१०; २२।१२ विमानों की संख्या-प्र० ३,१५२
विमानों की ऊंचाई-प्र० ४८ ग्रेवेयक स्थिति-२२।१३; २३१६,१०; २४१११,१२, २५॥१४,१५;
२६१७,८, २७१११,१२; २८।११,१२, २६।१४,१५
३०।१२,१३; ३१।११ आन-प्राण--२३।११; २४।१३; २५।१६; २६१६; २७।१३;
२८।१३; २६१६, ३०।१४; ३१११२ भोजन-इच्छा-२३।१२, २४।१४, २५।१७; २६।१०; २७।१४
२८।१४; २६।१७; ३०।१५; ३१११३ ग्रैवेयक विमानों की संख्या-११६ ग्रेवेयक विमानों की ऊंचाई-प्र० ५५ ग्रेवेयक देवों के मारणान्तिक समुद्घात से समवहत तेजस-कार्म शरीर की अवगाहना-प्र० १६६, १७१
स्थिति-७।१६; ८।१४; १।१६; १०१२० देवेन्द्र ब्रह्म के सामानिक देव-६०१५ ब्रह्मकल्प के विमानों की संख्या-६४१५; प्र० ११२ गर्दतोय और तुषित देवों का परिवार-७७१३
ब्रह्मकल्प के विमानों की ऊंचाई-प्र० ३७ लान्तक
स्थिति-१०।२१; ११।१२; १२।१६; १३।१३; १४।१३ विमानों की संख्या–५०५; प्र० १५२ विमानों की ऊंचाई-प्र०३७
शुक्र
स्थिति-१४।१४; १५१४; १६।१२; १७।१६ विमानों की संख्या-४०१८; प्र० १५२ विमानों की ऊंचाई-प्र० ४३
सहस्त्रार
स्थिति-१७११७; १८१३ देवेन्द्र देवराज के सामानिक देव --३०१५ विमानों की ऊंचाई-प्र० ४३ विमानों की संख्या-प्र० ७१,१५२
अनुत्तर
स्थिति-३१।१०; ३२।११; ३३१०,११; प्र० १५६, १५७ आन-प्राण-३२॥१२; ३३।१२ भोजन-इच्छा-३२॥१३; ३३।१३ परिनिर्वाण-३२।१४; ३३।१४ अनुत्तर विमान के राजधानियों के प्राकारों की ऊंचाई-३७।३ अनुत्तर विमानों की ऊंचाई-प्र०६५ अनुत्तर देवों के प्रकार-प्र० १३६ अनुत्तर देवों के मारणान्तिक समुद्घात से समबहत तैजस-कार्मणशरीर की अवगाहना-प्र० १७०,१७१ सर्वार्थसिद्ध महाविमान का आयाम-विष्कंभ-११२५ सर्वार्थसिद्ध महाविमान से ईषत्प्राग्भारा की दूरी-१२।१०
आनत
स्थिति–१८।१४; २६।१० विमानों की संख्या–प्र० १६,१५२ विमानों की ऊंचाई-प्र०४८
प्रकीर्ण
प्राणत
स्थिति --१६।११, २०१२ देवेन्द्र देवराज के सामानिक देव-२०१४ विमानों की संख्या-प्र० १६,१५२ विमानों की ऊंचाई-प्र०४८
वैमानिकों के विमान-प्रस्तट-६२१५ वैमानिक देवों के विमानों की संख्या-८४।१८ वैमानिक देवों के विमानों के प्राकार-प्र० ११ वैमानिक देवों के आवास-प्र० १५० वैमानिक देवों का संहनन-प्र० १६५
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