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________________ [२५] (ग) वासुदेव-बलदेव वासुदेव : कृष्ण ऊंचाई-१०५ दत्त ऊंचाई–३५॥३ पुरुषोत्तम ऊंचाई-५०३ त्रिपृष्ठ ऊंचाई-८०१२ महाराज-काल-८०४ सम्पूर्ण आयुष्य-काल-८४१५ स्वयंभू दूसरे राज्यों को जीतने का काल-६०।४ पुरुषसिंह सम्पूर्ण आयुष्य-काल--प्र० ८५ बलदेव: राम ऊंचाई-१०६ सम्पूर्ण आयुष्य-काल-१२२५ नन्दन ऊंचाई-३५४ सुप्रभ सम्पूर्ण आयुष्य-काल-५१४ विजय सम्पूर्ण आयुष्य-काल--७३।२ अचल ऊंचाई---८०३ बलदेव-वासुदेवों का वर्णन-प्र० २४१ . बलदेव-वासुदेवों के पूर्वभविक नाम-प्र० २४२ वासुदेवों के पूर्वभविक धर्माचार्य-प्र० २४३ वासुदेवों की निदान-भूमियां-प्र० २४४ वासुदेवों के निदान के कारण-प्र० २४५ वासुदेवों के प्रतिशत्रु-प्र० २४६ बलदेव-वासुदेवों की गति का निरूपण-प्र० २४७ आगामी उत्सपिणी में होने वाले बलदेव-वासुदेवों का वर्णनप्र० २५६,२५७ १३. देव, देवलोक तथा विमानावास सौधर्म स्थिति-१।३६,४०; २।१४,१६,३।१६,४।१३,५।१७; ६।२२; ७१६; ८।१३; ६।१५; १०११६; ११।११; १२।२५; १३।१२; १४११२; १५।१३; १६।११; १७३१५; १८।१२; १६६; २०।११, २११८, २२।११; २३१८, २४।१०; २०१३; २६।६; २७।१०; २८।१०; २६।१३; ३१६६% ३२।१०,३३६ पालक यान-विमान का आयाम-विष्कभ-१।२४ सौधर्मावतंसक विमानों का आयाम-विष्कभ-१२।३ सौधर्म विमानों के प्रस्तट-१३१२ सौधर्मकल्प के विमानों की पृथ्वी की मोटाई-२७१४ सौधर्मकल्प के विमानों की संख्या-३२१४; ५२१५ ; ६०।६; ६२।४; ६४१५; प्र० १५५ । सौधर्मावतंसक विमान की बाहा के भौमों की संख्या-६५।३ शक्र के लोकपाल वैश्रमण का आधिपत्य आदि--७८।१ शक्र के सामानिक देव-८४१६ सौधर्मकल्प के विमानों की ऊंचाई-प्र० ३० ईशान स्थिति-११४१,४२; २।१५,१७; ३।१६; ४११३;५।१७; ६।१२; ७।१६; ८।१३, ६।१५; १०।१६; १११११, १२।१५; १३।१२,१४।१२; १५१३, १६।११,१७।१५; १८।१२; १६९; २०१११, २११८, २०११, २३१८; २४।१०; २५।१३; २६।६; २७।१०; २८।१०; २६।१३; ३१६% ३२।१०।३३।। ईशानावतंसक विमान का आयाम-विष्कभ-१२१४ ईशान विमानों के प्रस्तट-१३।२ ईशानकल्प के विमानों की पृथ्वी की मोटाई-२७४४ ईशानकल्प के विमानों की संख्या-२८।४; ६०१६; ६२।४; ६४१५;प्र० १५२ ईशान देवेन्द्र के सामानिक देव-८०६ प्रकीर्ण भरत-ऐरवत के प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी के बलदेववासुदेव-५४११ धातकीषण्ड में बलदेव-वासुदेवों की उत्कृष्ट संख्या-६८।३ अर्द्धपुष्करवरद्वीप में बलदेव-वासुदेवों की उत्कृष्ट संख्या-६८१६ बलदेव-वासुदेवों के पिताओं के नाम-प्र०२३८ बलदेव-वासुदेवों की माताओं के नाम-प्र० २३६, २४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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