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________________ [२४] भरत में आगामी उत्सर्पिणी में होने वाले तीर्थङ्कर-प्र० २५१ इनके पूर्वभविक नाम-प्र० २५२ इनके माता, पिता, शिष्य, शिष्या, प्रथम भिक्षादायक और चैत्यवृक्ष-प्र० २५३ ऐरवत में आगामी उत्सपिणी में होने वाले तीर्थद्वर-प्र० २५८ (ख) चक्रवर्ती तिरपन अनगार-५३।३ चौवन प्रश्न-५४१३ अन्तिम रात्री की प्ररूपणा-५५४ वर्षाऋतु में स्थित होने वाला कालमान-७०।१ सम्पूर्ण आयुष्य-काल-७२।३ संहरण-काल-८२२२,८३३१ परिनिर्वाण-काल-८६२ चौदहपूर्वी मुनियों की संख्या-प्र० १२ उत्कृष्ट वादी-सम्पदा-प्र० २० केवलियों की संख्या-प्र० ३८ । वैक्रियलब्धिसंपन्न मुनियों की संख्या--प्र० ३६ अनुत्तरोपपातिक-सम्पदा-प्र०४५ छठा भव-प्र० ८६ गण और गणधर-प्र० २१५ भरत कुमार-काल-७७।१ अगारवास-काल-८३१५ पूर्ण आयुष्य-काल-८४१३ ऊंचाई-प्र०२६ राज्य-काल-प्र०५१ सगर प्रकीर्ण गृहवास-काल-७११४ ऊंचाई-प्र० २२ हरिषेण उन्नीस तीर्थङ्करों का अगारवास-१९।५ तेईस तीर्थङ्करों के केवलज्ञान की उत्पति–२३।२ तेईस तीर्थङ्करों का पूर्वभव-२३॥३,४ चौबीस देवाधिदेव--२४१ तीर्थङ्करों के अतिशेष-३४११ जिनेश्वरदेव की अस्थियां-३५१५ भरत-ऐरदत में प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सपिणी के तीर्थङ्कर महाराज-काल-८६३ अगारवास-काल-६७४ धातकीषण्ड में अर्हतों की उत्कृष्ट संख्या-६८।२ अर्द्धपुष्करवरद्वीप में अर्हतों की उत्कृष्ट संख्या-६८५ बाहुबली, ब्राह्मी और सुन्दरी का पूर्ण आयुष्य-काल-८४१३ तीर्थडुरों के पिता के नाम-प्र० २२० तीर्थङ्करों की माता के नाम-प्र० २२१ तीर्थङ्करों के नाम-प्र० २२२ तीर्थङ्करों के पूर्वभविक नाम-प्र० २२३ तीर्थङ्करों की शिविकाएं-प्र० २२४ तीर्थङ्करों की निष्क्रमण भूमि-प्र० २२५ तीर्थङ्करों की निष्क्रमण अवस्था-प्र० २२६ तीर्थकर कितने पुरुषों के साथ प्रवजित ?-प्र० २२७ तीर्थङ्करों की प्रव्रज्याकालीन तपस्या-प्र० २२८ तीर्थङ्करों को प्रथम भिक्षा देने वाले–प्र० २२६ तीर्थङ्करों का भिक्षा-प्राप्ति-काल तथा स्वर्ण-वृष्टि-प्र० २३० तीर्थङ्करों के चैत्य-वृक्ष-प्र० २३१ तीर्थङ्करों के प्रथम शिष्य-प्र० २३२ तीर्थङ्करों की प्रथम शिष्याएं-प्र० २३३ ऐरवत क्षेत्र के तीर्थङ्कर---प्र० २४८ प्रकीर्ण चक्रवर्ती के चौदह रत्ल-१४१७ चक्रवर्ती के विजय-३४१२ चक्रवर्ती के पत्तन-४८११ भरत-ऐरवत में प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी के चक्रवर्ती५४११ धातकीषण्ड में चक्रवतियों के विजयों की संख्या-६८१ धातकीषण्ड में चक्रवतियों की उत्कृष्ट संख्या-६८।३ अर्द्धपुष्करवरद्वीप में चक्रवतियों के विजयों की संख्या-६८।४ अर्द्धपुष्करवरद्वीप में चक्रवतियों की उत्कृष्ट संख्या-६८।६ चक्रवर्ती के पुर–७२।६ चक्रवर्ती के ग्राम-६६१ चक्रवर्ती के पिता के नाम-प्र०२३४ चक्रवर्ती की माता के नाम-प्र० २३५ चक्रवतियों के नाम-प्र० २३६ ।। चक्रवतियों के स्त्री-रल-प्र० २३७ भरत में आगामी उत्सपिणी में होने वाले चक्रवर्ती-प्र० २५४ इनके पिता, माता और स्त्री-रल-प्र० २५५ ऐरवत में आगामी उत्सपिणी में होने वाले चक्रवर्ती आदिप्र० २५६, २६० www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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