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६२ बावट्ठिमो समवानो : बासठवां समवाय
मूल
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद १. पंचसंवच्छरिए णं जुगे बाट्टि पञ्चसांवत्सरिके युगे द्विषष्ठिः पूर्णिमाः १. पंच सांवत्सरिक युग में बासठ पूणिमाएं पुणिमाओ बाढि अमावसाओ द्विषष्ठिः अमावस्याः प्रज्ञप्ताः ।
और बासठ अमावस्याएं होती हैं। पण्णत्ताओ। २. वासुपुज्जस्स णं अरहो बाढेि वासुपूज्यस्य अहंतः द्विषष्ठिः गणाः २. अर्हत् वासुपूज्य के बासठ गण और गणा बाढि गणहरा होत्था। द्विषष्ठिः गणधराः आसन् ।
बासठ गणधर थे। ३. सकपक्खस्स णं चंदे बाट्रि भागे शुक्लपक्षस्य चन्द्रः द्विषष्ठि भागान् ३ शुक्लपक्ष का चन्द्र प्रतिदिन बासठ भाग दिवसे-दिवसे परिवइ, ते चेव दिवसे-दिवसे परिवर्द्धते, तश्चैव
बढ़ता है । कृष्णपक्ष का चन्द्र प्रतिदिन बहलपक्खे दिवसे-दिवसे बहलपक्षे दिवसे-दिवसे परिहीयते ।
बासठ भाग घटता है। परिहायइ।
४. सोहम्मीसाणसु कप्पेसु पढमे सौधर्मशानयोः कल्पयोः प्रथमे प्रस्तटे ४. सौधर्म और ईशानकल्प के प्रथम
पत्थडे पढमावलियाए एगमेगाए प्रथमावलिकायाः एकैकस्यां दिशि प्रस्तट की, प्रथम आवलिका की प्रत्येक दिसाए बाढि-बाढि विमाणा द्विषष्ठिः-द्विषष्ठिः विमानानि दिशा में बासठ-बासठ विमान हैं । पण्णत्ता।
प्रज्ञप्तानि । ५. सव्वे वेमाणियाणं बाढि सर्वे वैमानिकानां द्विषष्ठिः विमान- ५. प्रस्तट-परिमाण से वैमानिकों के सर्व विमाणपत्थडा पत्थडगगेणं प्रस्तटाः प्रस्तटाग्रेण प्रज्ञप्ताः ।
विमान-प्रस्तट बासठ' हैं। पण्णत्ता।
टिप्पण
१. पंच सांवत्सरिक अमावस्याएं (पंचसंवच्छरिए अमावसाओ)
एक युग में तीन चन्द्र-संवत्सर और दो अभिवधित संवत्सर होते हैं। प्रत्येक चन्द्र-संवत्सर में बारह चन्द्रमास और प्रत्येक अभिवधित संवत्सर में तेरह चन्द्रमास होते है। इस प्रकार तीन चन्द्र-संवत्सरों में छत्तीस पूर्णिमाएं और छत्तीस अमावस्याएं तथा दो अभिवधित संवत्सरों में छब्बीस पूणिमाएं और छब्बीस अमावस्याएं होती हैं।'
१.समवायांगवृत्ति, पत्र ७१: युगे तयश्चन्द्रसंवत्सरा भवन्ति, तेषु षट्त्रिंशत् पौर्णमास्यो भवन्ति, द्वौ चामिद्धितसंवत्सरी भवतः, तत्र चाभिवद्धितसंवत्सरत्रयोदशभिश्चन्द्रमासमंवतीति तयोः षडविंशति: पोर्णमास्य इत्येवं द्विषष्टिस्ता भवन्ति इत्येवममावस्या पपीति।
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