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________________ समवानो २३२ समवाय ६२ : टिप्पण २. बासठ गण और बासठ गणध आवश्यकनियुक्ति में इनके छासठ गण और छासठ गणधर बतलाए हैं ।' ३. शुक्ल पक्ष का चन्द्र घटता है (सुक्कपक्खस्स णं चंदे परिहायइ) वृत्तिकार ने सूर्यप्रज्ञप्ति के दो उद्धरणों से यह बताया है कि पूर्ण चंद्रमंडल के ६३१ भाग होते हैं। इनमें एक भाग अवस्थित रहता है, शेष घटते बढ़ते हैं। शुक्लपक्ष में प्रतिदिन बासठ भाग बढ़ते हैं और पूर्णिमा के दिन वह मंडल पूर्णरूप से प्रकाशित हो जाता है। इसी प्रकार कृष्णपक्ष में प्रतिदिन बासठ भाग घटते हैं और अमावस्या के दिन वह मंडल पूर्णरूप से आच्छादित हो जाता है। ४. विमान-प्रस्तट बासठ (बाढि विमाणपत्थडा) सौधर्म ईशान में तेरह, सनत्कुमार-माहेन्द्र में बारह, ब्रह्मलोक में छह, लान्तक में पांच, शुक्र में चार, सहस्रार में चार, आनत-प्राणत में चार, आरण-अच्युत में चार, अवेयक में नौ और अनुत्तर में एक-कुल बासठ विमान-प्रस्तट होते हैं।' १. प्रावश्यकनियुक्ति, गा० २६७, प्रवचूणि प्रथम विभाग, पृ २११॥ २. समवायांगवृत्ति, पत्र ७२। ३.व ही, पन्न ७२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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