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टिप्पण
१. उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययन हैं (छत्तीसं उत्तरज्झयणा पण्णत्ता)
उत्तराध्ययन सूत्र में ये नाम इस प्रकार हैं१. विनयश्रुत १३. चित्रसंभूति
२५. यज्ञीय २. परीषह-प्रविभक्ति १४. इषुकारीय
२६. सामाचारी ३. चतुरंगीय १५. सभिक्षुक
२७. खलुंकीय ४. असंस्कृत १६. ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान
२८. मोक्ष-मार्ग-गति ५. अकाम-मरणीय १७. पापश्रमणीय
२६. सम्यक्त्वपराक्रम ६. क्षुल्लक निर्ग्रन्थीय १८. संजयीय
३०. तपोमार्गगति ७. उरभ्रीय १६. मृगापुत्रीय
३१. चरणविधि ८. कापिलीय २०. महानिर्ग्रन्थीय
३२. प्रमादस्थान ६. नमिप्रव्रज्या २१. समुद्रपालीय
३३. कर्मप्रकृति १०. द्रुमपत्रक २२. रथनेमीय
३४. लेश्याध्ययन ११. बहुश्रुतपूजा २३. केशि-गौतमीय
३५. अनगार-मार्ग-गति १२. हरिकेशीय २४. प्रवचन-माता
३६. जीवाजीवविभक्ति २. छत्तीस अंगुल प्रमाण (छत्तीसंगुलियं)
वृत्तिकार के अनुसार व्यवहार में चैत्र और आश्विन की पूर्णिमा और निश्चय में मेष और तुला संक्रान्ति के दिन छत्तीस अंगुल (अर्थात् तीन पैर) प्रमाण का प्रहर होता है।'
१. समवायांगवृत्ति, पत्र ६१॥
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