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समवानो
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समवाय ३२ : टिप्पण
२. देवेन्द्र बत्तीस हैं (बत्तीसं देविदा)
यद्यपि देवेन्द्र चौसठ होते हैं, किन्तु यह बत्तीसवां समवाय है अत: बत्तीस की संख्या का नियमन होने के कारण यहां बत्तीस देवेन्द्रों के नामों का प्रज्ञापन किया गया है। वृत्तिकार के अनुसार सोलह व्यन्तर इन्द्र और आणपण्णीक इन्द्र-ये
बत्तीस अल्प ऋद्धि वाले देवेन्द्र होते हैं । प्रस्तुत विभाजन में बत्तीस महद्धिक देवेन्द्र विवक्षित हैं।' ३. नाट्य बत्तीस (बत्तीसतिविहे गट्टे)
प्रस्तुत सूत्र में नाट्यों का नामोल्लेख नहीं है । उनकी जानकारी के लिए देखें-'रायपसेणइय सुत्त' (सूत्र ६९-११३)। वृत्तिकार ने पक्षान्तर का उल्लेख करते हुए लिखा है, जिस नाट्य में बत्तीस पात्र हों वैसा नाट्य ।
१. समवायांगवत्ति, पत्र ५५॥ २. वही, पत्र ५५।
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