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समवाय २० : सू० २-१२
समवानो
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सूरप्रमाणभोजी २०. एसणाऽसमिते आवि भवइ। एषणाऽसमितश्चापि भवति ।
१६. सूरप्पमाणभोई
१६. सूर्योदय से सूर्यास्त तक बार-बार भोजन करने वाला। २०. एषणा समिति का पालन न करने वाला।
२. मुणिसुव्वए णं अरहा वीसं धणूइं मुनिसुव्रतः अर्हन् विशति धनूंषि २. अर्हत् मुनिसुव्रत बीस धनुष्य ऊंचे थे। __ उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था। ऊर्ध्वमुच्चत्वेन आसीत्। ३. सव्वेवि णं घणोदही वीसं सर्वेऽपि घनोदधयो विशति योजन- ३. सभी घनोदधि-घन समुद्रों की मोटाई जोयणसहस्साई बाहल्लेणं सहस्राणि बाहल्येन प्रज्ञप्ताः ।
बीस-बीस हजार योजन है। पण्णत्ता।
४. पाणयस्स णं देविदस्स देवरण्णो प्राणतस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य विंशतिः वीसं सामाणिअसाहस्सोओ सामानिकसाहस्यः प्रज्ञप्ताः। पण्णत्ताओ।
४. प्राणतकल्प के देवेन्द्र देवराज के सामानिक देव बीस हजार हैं।
५. णपंसयवेयणिज्जस्स णं कम्मस्स नपुंसकवेदनीयस्य कर्मणः विशति ५. नपुंसक वेदनीय कर्म का स्थिति-बंध,
वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ सागरोपमकोटिकोटीः बन्धतो बन्ध- बंध के प्रथम क्षण से, बीस कोटिकोटि बधओ बठिई पण्णत्ता। स्थितिः प्रज्ञप्ता।
सागरोपम का है। ६. पच्चक्खाणस्स गं पुव्वस्स वीसं प्रत्याख्यानस्य पूर्वस्य विंशतिः वस्तूनि ६. प्रत्याख्यान पूर्व के वस्तु बीस हैं। वत्थ पण्णता।
प्रज्ञप्तानि । ७. ओसप्पिणि-उस्सप्पिणिमंडले वीसं अवसर्पिणी-उत्सपिणी-मण्डले विशति ७. अवसर्पिणी और उत्सपिणी मंडल में
सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सागरोपमकोटिकोटीः कालः प्रज्ञप्तः। कालमान बीस कोटिकोटि सागरोपम पण्णत्तो।
८. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के कुछ नैरयिकों
की स्थिति बीस पल्योपम की है।
८ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अस्यां रत्नप्रभायां पृथिव्यां अस्ति
अत्थेगइयाणं नेरइयाणं वीसं एकेषां नैरयिकाणां विंशति पल्योपमानि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। स्थितिः प्रज्ञप्ता। ६. छट्ठीए पुढवीए अत्थेगइयाणं षष्ठ्यां पृथिव्यां अस्ति एकेषां
नेरइयाणं वीसं सागरोवमाइं ठिई नैरयिकाणां विंशति सागरोपमाणि पण्णता।
स्थितिः प्रज्ञप्ता।
. छट्ठी पृथ्वी के कुछ नैरयिकों की स्थिति बीस सागरोपम की है।
१०. असुरकुमाराणं देवाणं अत्यंगइ- असुरकुमाराणां देवानां अस्ति एकेषां १०. कुछ असुरकुमार देवों की स्थिति
याणं वीसं पलिओवमाई ठिई विशति पल्योपमानि स्थितिः प्रज्ञप्ता। बीस पल्योपम की है। पण्णत्ता।
११. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं सौधर्मेशानयोः कल्पयोरस्ति एकेषां ११. सौधर्म और ईशानकल्प के कुछ देवों
दवाणं वीसं पलिओवमाइं ठिई देवानां विशति पल्योपमानि स्थितिः की स्थिति बीस पल्योपम की है। पण्णत्ता।
प्रज्ञप्ता।
१२. पाणते कप्पे देवाणं उक्कोसेणं प्राणते कल्पे देवानामुत्कर्षण विशति १२. प्राणतकल्प के देवों की उत्कृष्ट स्थिति वीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। सागरोपमाणि स्थितिः प्रज्ञप्ता।
बीस सागरोपम की है।
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