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१. वीसं
मूल
संस्कृत छाया
असमाहिठाणा पण्णत्ता, विंशतिः असमाधिस्थानानि प्रज्ञप्तानि
तद्यथा
तं जहा
१. दवदवचारि यावि भवइ
२. अपमज्जियचारि यावि भवइ
३. दुप्पमज्जियचारि यावि भवइ
४. अतिरित्तसेज्जासणिए
५. रातिणियपरिभासी
६. थेरोवघातिए
७. भूओवघातिए
८. संजलणे
कोह
१०. पिट्ठिमंसिए
अभिक्खणं
११.
ओहारइत्ता भवइ
२०
वीसइमो समवा : बीसवां समवाय
१२. णवाणं
अणुप्पण्णा उप्पाएत्ता भवइ
अभिक्खणं
अधिकरणानं
१३. पोराणाणं
अधिकरणाणं
खामिय-विओसवियाणं पुणोदीरेत्ता
१७. सहकरे १८. भंभकरे
भवइ
१४. सस रक्खपाणिपाए
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द्रवद्रवचारी चापि भवति
अप्रमार्जितचारी चापि भवति
दुष्प्रमाजितचारी चापि भवति अतिरिक्तशय्यासनिकः
रानिक परिभाषी
स्थविरोपघाती
भूतोपघाती
संज्वलन:
क्रोधनः
पृष्ठिमा सिक:
अभीक्ष्णमभीक्ष्णमवधारयिता
पुराणानामधिकरणानां व्यवशमितानां पुनरुदीरयिता भवति
सरजस्कपाणिपादः
१५. अकाल- सज्झायकारए यावि अकाल- स्वाध्यायकारकश्चापि
भवइ
भवति
१६. कलहकरे
कलहकरः
शब्दकरः
भभाकरः
भवति
नवानामधिकरणानां उत्पादयिता भवति
अनुत्पन्नानां
क्षमित
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हिन्दी अनुवाद
१. असमाधि के स्थान बीस हैं, ' जैसे
१. शीघ्रगति से चलने वाला ।
२. प्रमार्जन किए बिना चलने वाला । ३. अविधि से प्रमार्जन कर चलने वाला ।
४. प्रमाण से अधिक शय्या, आसन आदि रखने वाला' ।
५. रत्नाधिक साधुओं का पराभव करने
वाला ।
६. स्थविरों का उपघात करने वाला ।
७. प्राणियों का उपघात करने वाला ।
८. प्रतिक्षण क्रोध करने वाला ।
६. अत्यन्त क्रुद्ध होने वाला ।
१०. परोक्ष में अवर्णवाद बोलने वाला ।
भाषा
११. बार-बार निश्चयकारी बोलने वाला ।
१२. अनुत्पन्न नए कलहों को उत्पन्न करने वाला ।
१३. क्षामित और उपशान्त पुराने कलहों की उदीरणा करने वाला ।
१४. सचित्त रज से लिप्त हाथ से भिक्षा लेने वाला और सचित रज से लिप्त पैरों से अचित्त भूमि में संक्रमण करने वाला ।
१५. अकाल में स्वाध्याय करने वाला ।
१६. कलह करने वाला ।
१७. शब्दकर - बकवास करने वाला ।
१८. भञ्भाकर गण में भेद डालने
वाला या गण के मन को दु:खाने वाली भाषा बोलने वाला ।
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