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१. संयम ( संजमे ) :
टिप्पण
विस्तार के लिए देखें - आवश्यक, हारिभद्रया वृत्ति, भाग २ पृ० १०८, १०६ ।
२. मानुषोत्तर ( माणुसुत्तरे )
:
तीन मांडलीक पर्वतों में यह एक मांडलिक पर्वत है।' इसके चारों ओर चार कूट हैं। यह १७२१ योजन ऊंचा और १०२२ योजन चौड़ा है।'
३. आवास पर्वत ( आवासपव्वया) :
वृत्तिकार ते इन आवास पर्वतों के स्वरूप के लिए क्षेत्रसमास की आठ गाथाओं का उल्लेख किया है ।
देखें - समवायांगवृत्ति, पत्र ३२ ।
४. उत्पात पर्वत ( उप्पायपव्वए) :
नीचे लोक से तिरछे लोक में - मनुष्य क्षेत्र में आने के लिए चमर आदि भवनपति देव जहां से ऊर्ध्वगमन करते हैं, उन्हें उत्पात पर्वत कहते हैं ।
५. मरग सतरह प्रकार का है [ सत्तरसविहे मरणे ] :
१. आवीचिमरण - प्रतिक्षण आयु की विच्युति ।
२. अवधिमरण – एक बार जिन आयुष्यकर्म के दलिकों का वेदन कर मरता है, उन्हीं कर्म दलिकों को पुनः वेदन कर
मरना ।
३. आत्यन्तिकमरण – एक बार जिन आयुष्यकर्म के दलिकों का वेदन कर मरता है, उन्हीं कर्म दलिकों का पुनः वेदन न कर मरना ।
४. वलाय ( वलन् ) मरण - संयम जीवन से च्युत होकर मरण प्राप्त करना ।
५. वशार्त्तमरण – इन्द्रियों के वशीभूत होकर मरण प्राप्त करना ।
६. अन्तः शल्यमरण - अन्तःशल्य से होने वाला मरण ।
७. तद्भवमरण - वर्तमान जन्म से मृत्यु को प्राप्त करना ।
८. बालमरण -- मिथ्यात्वी और सम्यकदृष्टि का मरण ।
2. पंडितमरण-संयमी का मरण ।
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१०. बालपंडितमरण-संयतासंयत का मरण ।
११. छद्मस्थमरण-संयमी का छद्मस्थ अवस्था में मरण ।
१२. केवलमरण - केवलज्ञानी का मरण ।
१३. वैहायसमरण - वृक्ष की शाखा पर लटकने, पर्वत से गिरने आदि से होने वाला मरण ।
१४. गुद्धस्पृष्ट (गुद्धपृष्ठ) मरण - हाथी आदि के कलेवर में प्रविष्ट हो मरना ।
१५. भक्तप्रत्याख्यानमरण – अनशन पूर्वक मरण |
१६. इंगिनी मरण - प्रतिनियत स्थान पर अनशन - पूर्वक मरण ।
१७. प्रायोपगमनमरण – अपनी परिचर्या न स्वयं करे न दूसरों से कराए - ऐसा अनशन - पूर्वक मरण ।
विशेष विवरण के लिए देखें - उत्तरज्भयणाणि, भाग १ पृ० ५७-६५ ।
१. ठाणं, १/४८० ।
२. ठाणं, ४/३०३।
३. ठाणं, १०/४० ।
४. समवायांगवृति पत्र १२:
जङ्घाचारणानां विद्याचारणानां च 'तिरिम' त्ति तिथंग् रुचकादिद्वीपगमनायेति, तिगिच्छिकूट उत्पातपर्वतो यत्रागत्य मनुष्यक्षेत्राभिगमनायोत्पतति चेतोऽङ्खपाततमेऽरुणोदयसमुद्रे दक्षिणतो द्विचत्वादिशतं योजयतिक्रम्य भवति रुवकेन्द्रोत्यात पर्वतस्त्वरुणोदयसमुद्र एव उत्तरतो एवमेव भवतीति ।
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