________________
समवायो
समवाय १५ : टिप्पण
५. आहारकशरीर काय-प्रयोग-जब आहारक शरीर पूर्ण होकर प्रवृत्त होता है तब आहारकशरीर काय-प्रयोग होता है।
६. आहारकमिश्रशरीर काय-प्रयोग-जिस समय आहारक शरीर अपना कार्य संपन्न कर पुनः औदारिक शरीर में प्रवेश करता है, उस समय औदारिक काययोग के साथ आहारकमिश्रशरीर काय-प्रयोग होता है।
७. कार्मणशरीर काय-प्रयोग–यह दो प्रकार से होता है--- (क) अन्तराल गति में अनाहारक अवस्था में होने वाला योग कार्मणशरीर काय-प्रयोग है। (ख) केवली समुद्घात के समय तीसरे, चौथे और पांचवें समय में कार्मणशरीर काय-प्रयोग होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org