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समवाओ
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३. वीर भक्तिकरण के समय किया जाने वाला कायोत्सर्ग ।.
४. चतुर्विंशति तीर्थङ्कर भक्तिकरण के समय किया जाने वाला कायोत्सर्ग |
स्वाध्याय के समय किये जाने वाले तीन कृतिकर्म -
१. श्रुत भक्तिकरण के समय किया जाने वाला कायोत्सर्ग |
२. आचार्य भक्तिकरण के समय किया जाने वाला कायोत्सर्ग ।
अपराह्न
३. स्वाध्याय के उपसंहार-काल में श्रुत भक्तिकरण के समय किया जाने वाला कायोत्सर्ग ।
आवश्यक निर्युक्ति की व्याख्या से मूलाचार की टीकागत व्याख्या भिन्न है। मूलाचार की वृत्ति में पूर्वाह्न और
'की अर्थ-योजना में दो विकल्प किए गए हैं :
१. ( क ) पूर्वाह्न - दिवस में सात कृतिकर्म ।
(ख) अपराह्न - रात्रि में सात कृतिकर्म ।
२. ( क ) पूर्वाह्न - पश्चिम रात्रि से लेकर दिन के तीन प्रहर तक का समय । इस काल मर्यादा के अनुसार-
पश्चिम रात्रि में प्रतिक्रमण के समय - चार कृतिकर्म |
पश्चिम रात्रि में स्वाध्याय के समय - तीन कृतिकर्म ।
वन्दना के समय - दो कृतिकर्म |
सूर्योदय के समय स्वाध्याय में - तीन कृतिकर्म 1
मध्याह्न वन्दना के समय दो कृतिकर्म ।
(ख) अपराह्न - दिन के चतुर्थ प्रहर से लेकर रात्रि के प्रथम प्रहर तक का समय । इस काल मर्यादा के
अनुसार
स्वाध्याय के समय - तीन कृतिकर्म ।
प्रतिक्रमण के समय - चार कृतिकर्म । वन्दना के समय दो कृतिकर्म । योगभक्ति ग्रहण के समय - एक कृतिकर्म । योगभक्ति उपसंहार के समय - एक कृतिकर्म | रात्रि में प्रथम स्वाध्याय-काल में तीन कृतिकर्म ।
४. बलदेव राम (रामे णं बलदेवे )
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वृत्तिकार के अनुसार वे पांचवें देवलोक के देव ''
हुए
५. बारह मुहूर्त का ( दुवालसमुहुत्तिआ )
की होती है । '
६. बारह मुहूर्त का ( दुवालसमुहुत्तिओ)
सूर्य जब उत्तरायण होता है, तब उसकी अन्तिम रात्रि सबसे छोटी - बारह मुहूर्त्त या चौबीस घड़ी प्रमाण
समवाय १२ : टिप्पण
७. बारह नाम हैं (दुवालस नामधेज्जा )
सूर्य जब दक्षिणायन होता है, तब उसका अंतिम दिन सबसे छोटा - बारह मुहूर्त का होता है।'
१. मूलाचार, वृत्ति, पृ० ४५५
१. समवायांगवृत्ति, पत्र २३ । रामो नवमो बलदेवः'
३. वही, वृत्ति, पत्र १३ ।
सर्वजघन्या रात्रिश्तरायणयन्ताहोरात्रस्य रात्रि सा च द्वादशमोहूतिका चतुर्विंशतिघटिकाप्रमाणा ।
४. वही, वृत्ति, पन २३ ।
सर्वजन्म द्वादशीहूर्तिक एवेत्यर्थ स च दक्षिणायनस्तदिवस इति ।
1. 34, 5/99 1
स्थानांग सूत्र में इसके आठ नामों का उल्लेख हुआ है। वहां चौथा नाम 'तनु-तनु' है ।'
"पञ्चमदेवलोके देवत्वं गतः ।
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