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उवासगदसाओ
निदइ गरिहइ विउट्टइ विसोहेइ अकरणयाए अब्भुढेइ अहारिहं पायच्छित्तं
तवोकम्म° पडिवज्जइ ।। चुलणीपियस्स उवासगपडिमा-पदं ४७. तए णं से चुलणीपिता समणोवासए पढम उवासगपडिमं उबसंपज्जित्ता णं
विहरइ ! ४८. "तए णं से चुलणीपिता समणोवासए पढम उवासगपडिमं अहासुत्तं महाकप्पं
अहामगं अहातच्च सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ पाराहेइ ।। ४६. ताण से चलणीपिता समणोवासए दोच्चं उवासरापडिम, एवं तच्चं, चउत्थं,
पंचम, छटुं, सत्तम, अट्ठमं, नवम, दसम एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामगं अहातच्चं सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ
पाराहेइ° ।। ५०. तए णं से चुलणीपिता समणोवासए तेणं' अोरालेणं'विउलेणं पयत्तेणं
पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए
किसे धमणिसंतए जाए । चुलणोपियस्स अणसण-पदं ५१. तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासगस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल
समयंसि धम्मजागरियं जाग रमाणस्स अयं अज्झत्थिाए चितिए पत्थिर मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मसे अट्टिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए । तं अस्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे वले वीरिए पूरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे, तं जावता मे अस्थि उटाणे कम्मे बले वीरिए पूरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे, जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुत्थी विहरइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्रियम्मि सरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसलेहणा-झूसणा-भूसियस्स भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स, कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए-एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा
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१. सं० पा०पढम उवासगपडिम अहासुत्तं ४ ३. सं० पा.-उरालेणं जहा कामदेवे जाव जहा आणंदो जाव एक्कारस वि।
सोहम्मे। २. अस्य स्थाने ११६४ सूत्रे 'इमेणं एयास्वेणं' ४. उवा० ११५७ ॥
पाठो विद्यते ।
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