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तइयं श्रझयणं (चुलणीपिता)
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जलते ग्रपच्छिममारणंतियसंलेहणा - भूसणा-भूसिए भत्तपाण -पडिया इखिए कालं प्रणवखमाणे विहरइ ॥
चुलो पियस्स समाहिमरण-पदं
५२. तए णं से चुलगोपिता समणोवासए बहूहि सोल- व्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाणपाहावाहि अप्पाणं भावेत्ता, वोसं वासाई समणोवासगपरियागं पाणिता, एक्कारस य उवास गपडिमा सम्भं काएणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए प्रत्ताणं भूसित्ता, सद्वि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, श्रालोइयपक्कि समाहिते कालमासे कालं किच्चा • सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिस - गस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरत्थि मे गं श्ररुणप्पभं विमाणे देवत्ताए उववण्णे । चत्तारि पलिव माई ठिई पण्णत्ता | महाविदेहे वासे सिज्झिहिर बुज्झिहिइ मुच्चिहि सव्वदुक्खाणमंत काहिइ ||
निक्लेव-पदं
५३. एव खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेण उवासगदसाणं तच्चस्स यणस्स मट्ठे पण्णत्ते ||
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१. सं० पा०—निक्खेवो ।
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