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(ख) बालावबोध सहित (हस्तलिखित)
यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र १६२ और पृष्ठ ३२४ हैं। प्रत्येक पत्र ११ इंच लम्बा और ४३ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में प्रायः १८ या १९ पंक्तियां हैं और किसी-किसी पृष्ठ में २-३.४ आदि १६ पंक्तियों में पाठ लिखा हुआ है। मध्य में पाठ व ऊपर-नीचे बालावबोध वात्तिका लिखी हुई है। पाठ के अक्षर कुछ बड़े और वात्तिका के अक्षर उसकी अपेक्षा से छोटे हैं। प्रत्येक पंक्ति में पाठ के लगभग २८ या २६ अक्षर हैं। प्रति अ प्रधान व विस्तीर्ण पाठ की है। पाठ के दोनों तरफ लाल स्याही की तीन-२ लाइनें खिची हुई हैं। और अक्षर काली स्याही से लिखे गए हैं। प्रति के अन्त में निम्नलिखित लेखक को प्रशस्ति है
इति श्री अनुयोगद्वार सूत्र बालावबोधः समाप्तः ।। श्री मंगलं भूयात ॥ ॥ श्रीः।। ॥श्रीः ॥ ॥श्रीः॥
॥ श्रीरस्तु ॥ ६ छ अणुओगदारा समत्ता ॥ छ । सोलस सयाणि चउरुत्तराणि, होंति उ इमंमि गाहाणं दुस्सहस्स मणुठ्ठभछंदवित्त परिमाणओ भणिओ १ णगर महादारा इव उवक्कम दाराणुओगवरदारा अक्खरबिंदु मत्ता लिहिआ दुक्खक्खयट्ठाए २
गाहा १६०४ अनुष्टुभ ग्रन्थ २००५ अनुयोगदारं सुत्तं समत्तं ॥ छ । श्री: ।। संवत्सरे ख निधि गज चन्द्र प्रमिते तपा मासे काया तिथौ मार्तण्ड सुत वासरे इयं पुस्तिका लिखिता जयपत्तने ।। ॥श्रीः ॥ ॥श्रीः ॥
॥श्रीः ।।
(ग) बालावबोध सहित त्रिपाठी (हस्तलिखित)
यह प्रति तेरापंथी सभा, सरदारशहर की है। इसके पत्र १७५ पृष्ठ ३५० हैं। प्रत्येक पत्र १० इंच लम्बा व ४३ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ पर १३ से १८ पंक्तियां हैं। मध्यभाग में पाठ व ऊपर नीचे वात्तिका लिखी हुई है। पाठ की पंक्तियां प्रायः १ से ८ तक है कहीं-कहीं १५ तक लिखी हई है। पाठ के अक्षर प्रत्येक पंक्ति में लगभग ४५-४७ है। प्रति विस्तृत पाठ तथा अ प्रधान है । 'ख' प्रति तथा 'ग' प्रति दोनों एक वाचना की लगती है। 'क' प्रति अन्य वाचना की प्रतीत होती है। प्रति के अन्त में लेखक की निम्नलिखित प्रशस्ति है--
अणुओगदारा सम्मत्ता ॥ छ । सोलस सयाणि चउरुत्तराणि होति उ इमंमि गाहाणं दुसहस्समणुठ्ठभछंदवित्त परिमाणओ भणिओ १ णगर महादारा इव उवक्कमदाराणुओगवरदारा अक्खर-बिंदू-मत्ता लिहिआ दुक्खक्खयट्ठाए २ गाहा १६०४ अनुष्टुप ग्रन्थाग्र २००५ अणुओगदार सुत्तसमत्तं ।। छ । लिखित संवत् प्राप्त नहीं अनुमानिक १६ वीं शताब्दि की लिखी हई होनी चाहिए।
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