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________________ २४६ राइय-रायवेट्रि राइय (रात्रिक) उ० २६।४७,४८. प०८० राईभोयण (रात्रिभोजन) द० ४ सू० १६,१७. उ० १६।३०, ३०१२. क० ४११; ५२६ से १० राईमई (राजीमती) उ० २२:६,२६,३६ राईसर (र जेश्वर) प० ४२ राओ (रात्रौ) द० ४ सू० १८ से २३; ६२३,२४. उ०१४।१४; २६।३१. क०१४२ से ४६; ४।२५; ५।१०,१३,१४. व० ५।२१. नि० ३१८०८।१०।१०।२६ राओवरय (राज्युपरत) उ० १५२ राग (राग) आ० ४१८. द० २१४,५; ८।५७; ६।५१. उ० १०॥३७; १४१२८,४२,४३; १६।२; २१.१६:२३४३, २५।२१, २८।२०; २६।६३ से ६७,३०११,४; ३११३; ३२।२,७, ६.१२,२२ से २४,३५ से ३७,४८ से ५०; ६१ से ६३,७४ से ७६,८७ से ८६ ३५५. अ० १६,२०,६१७. दमा० ६३,७; ७।२०; १०।३३. प० २७,४२,६२,७४ रागि (रागिन) उ० ३२॥१००,१०५ राढामणि (राढामणि) उ० २००४२ रात (रात्र) दसा० ३।३ राति (रात्रि) नि० ८।१२ से १४ रातिणिय (रानिक) दसा० ३।३; १०।२४ रातिणियपरिभासि (रारिनकपरिभाषिन) दसा० १२३ रातीभोयण (रात्रिभोजन) दसा० २।३ रातोवरात (राज्यपरात्र) दसा०६।१३ से १८ राम (राम) उ० २२।२,२७ रामायण (रामायण) नं० ६७. अ० २५,४६,५४८ राय (राजन्) द० ५।१६, ६।२; चू० १।४. उ०७।११६।२,३,१२।२० से २२; १३१८, ११,१७,२०,२१,२६,३२ से ३४; १४१३,३७, ३८,४०,५३,१८११,६,७,९,१३,१५,१६, ३७,४३,४५ ४७ से ४६; १६।१, २०१२,१०, ५४,२२।१,३,७,४०.नं. ३८.११,८६ से । ८६,६१. अनं० १२ से १४. अ० १९,२६४, ३६२,३६५,३६६,४०८. दसा० ५।६।६।१ १०१२ से ४,६ से ११,१३ से २०,२२. प० ३७ से ४०,४२ से ४५,४७,४८.५०,५१, ५४,६१६३ से ६६,८३,८४,१०६,१०६,१२७, १६५,२२३ से ३०. नि० ४।१,७,१३; ८।१४ से १८६६ से २६ राय (रात्र) दसा० ७।८. क० २।४ से ७. व०१०२० से २२; ४।११,१२,१५ से १७, २० से २३,५।१११२, ६।२,३. नि० २।५०; ६७; १०।१३,१४ रायलेहा (राजलेखा) प० २६ रायंतेपुर (राजान्तःपुर) नि०६।३ से ५ रायंतेपुरिया (राजान्त पुरिका) नि० ६।४,५ रायकण्णा (राजकन्या) उ० २२१२८ रायकहा (राजकथा) आ० ४।८ रायकुल (राजकुल) अ० १६ रायगिह (राजगह) दसा० १०१ से ४,६,७,१७ से १६,३५. प० ८३,१८४,२८८. नि. ६२० रायदुवारिय (राजद्वारिका) नि० १५२६८ रायपरियट्ट (राजपरिवर्त) व० ७।२७ रायपसेणिय (राजप्राश्निक) नं० ७७ रायपसेणीयसुय (राजप्राश्निकश्रुत) जोनं० ८ रायपिंड (राजपिण्ड) द० ३।३. दसा० २।३. नि० ६१,२ रायपुत्त (राजपुत्र) उ० १५१६; २२।३६ रायपेसिय (राजप्रेष्य) नि० ६।२१ रायभवण (राजभवन) ५० ५४,६१ रायमच्च (राजामात्य) द० ६।२ रायमाण (राजमान) प० २८ रायरिसि (राषि ) उ०६।५,६,८,११,१३,१७, १६,२३,२५,२७,२६,३१,३३,३७,३६,४१,४३, ४५,४७,५०,५२,५६,६२; १८.५० राजवरसिरि (राज्यवरश्री) नं० १२० रायवसभ (राजवृषम) उ० १८॥३६,४७ रायवेट्ठि (राजवेष्टि) उ० २७।१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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