SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1239
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रयय-राइभोयण २४५ रयय (रजत) उ० ३४।६. अ० ६५५,६५६,६८१, रसपरिच्चाय (रसपरित्याग) उ० ३०१८ ६८५. प० १५,२१,२३,२५,२६,२८,२६ रसय (रसज) द० ४ सू०६ रयह रण (रजोहरण) आ० ४।६. द० ४ सू० २३, रसविगइ (रसविकृति) प० २३६ ५।६८ से ७८. क० २।२६; ३।१४,१५. रसिय (रसित) दसा० ३।३ नि०४।२३ रस्सि (रश्मि) दचू० १ सू० १. उ०२३१५६. रियाव (रञ्जय) रयावेइ प० ४२.-रयाति प० २७ प० ४१.-रयावेज्ज नि० १११८.-रयावेह रह (रथ) द० ६।३६. नं० गा० ६. अ० २५३, प० ४० ३३२,३६२,५२२,५५२. दसा०६।३; १०८, रयावेत (रञ्जयत) नि० १५५१८,२४,३०,४६, १४ से १६,२४ ५२,६१, १७४२०,२६,३२,४८,५४,६३,७४, रह (रहस्) उ० १११८,१२ ८०,८६,१०२,१०८,११७ रहजोग्ग (रथयोग्य) द० ७१५४ रयावेत्ता (रचयित्वा) प० ४० रहने मि (रथनेमि) उ० २२।३४,३७.३६ रयित (रचित) दसा० १०।१२ रहनेमिज्ज ( रथनेमीय) उ० २२ रयुग्घाय (रज उद्घात) अ० २८७ रहरेणु (रथरेणु) अ. ३६५,३६६ रव (रव) दसा० १०।१७,१८,२४. प० ६,६४,७५ रहस्स (रहस्य) द० ५।१६. उ०११७ रिव (रु)-रवइ अ० ३०० रहस्स (ह्रस्व) द० ७.२५. उ० २६।७३ रवंत (रवत्) नं० गा० १५ रसस्सिय (राहस्यिक) दसा० १०।२६ रवि (रवि) अ० ७०८।१. प० ३० रहाणीय (रथानीक) उ० १८.२ रस (रस) आ० ४।८. द० ११२; ५।१३६,१४२; रहिय (रहित) उ० १६।१; २४।१८ ६।१८; १०।१७. उ० २।३६; ११,१४; रहिय (रथिक) नं० ३८. अ० ३३२ १४।३१,३२; १६ सू० १२; गा० १०; १८।३, रहोकम्म (रहःकर्मन) दसा० १०।३३. प० ८२ ७; २०१३६,५०; २७।६।२८।१२, २६।४६, राइ (रात्रि) द० ४ सू० १६. उ० १०११; ६६।३०।२६,३२।१०,२०,६१ से ७३; १३।३१; १४।२४,२५,२०।३३; २६।१७. ३४१२,१० से १५,२३; ३५।१७; ३६।८३, व०६।४०,४१ ११,१०५,११६,१२५,१३५,१४४,१५४,१६६, राइ (राजन) उ० २०१५. नि०६।२१ १७८,१८७,१९४,२०३,२४७,२६४. नं० ५३, राइंदिय (रात्रिंदिव) प०६,१७,३८,४७,५६,१११, ५४१४. अ० २५७,२६०,२७६,३१० से ३१८, ११४,११५,१२४,१२८,१३०,१३८,१६३. ३७३,३७६,३७७,५०८,५११,५२४. क० ५।५. व० ६।३५ से ३८ दसा०६।३ राइणिय (रानिक) द०८।४०६।४३. रसओ (रसतस) उ० ३६।१५,१८,२२ से ४६ दसा० ३।३. प० २८३. व० ४११८,२४,२५ रसंत (रसत्) उ० १६०५१ राइण्ण (राजन्य) अ० ३४३. प० १६५ रसणिदिय (रसनेन्द्रिय) नं० ५६ राइण्णकुल (राजन्यकुल) प० ११,१४ रसण्णु (रसज्ञ) उ० १६।२८ राइभत्त (रात्रिभक्त) द० ३।२ रसदया (रसदा) द०७।२५ राइभोयण (रात्रिभोजन) द० ६।२५. रसनिज्जूढ (नियंढरस) द० ८।२२ नि० १६७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy