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________________ १४४ थासग-दंडारक्खिय थेरकप्प (स्थविरकल्प) प० २८१,२८७ थेरकप्पट्टिति (स्थविरकल्पस्थिति) क०६।२० थेरकप्पिय (स्थविरकल्पिक) ० ५२२१ थेरग (स्थविरक) नि० १४१६,७,१८३८,३६ थेरत्त (स्थविरत्व) व० ३।७,१३ थेर भूमि (स्थविरभूमि) व० १०.१६ थेरभूमिपत्त (स्थविरभूमिप्राप्त) व० ५।१७,१८; थेरय (स्थविरक) दचू० ११६ थेरावलि (स्थविरावलि) ५० १८७,१८८ थेरिया (स्थविरा) प० २५८. नि० १४।६,७; १८। ३८,३६ थेरोवघातिय (स्थविरोपघातिक) दसा० ११३ थोव (स्तोक) द० ५।७८; ८।२६. उ० १०१२; ३२।१००. अ० १३०,१७४,२१६,३९४,४०७, ४१२,४१७. प० ७६,८४ थासग (स्थासक) अनं० १४,१८. अ० ६२. दसा० १०।१४ थिग्गल (दे०) द० ५।१५ थिर (स्थिर) द० ७।३५. उ० ११३०; २६।२४. नं० गा० ७. अ० ४१६. प० २२,२३. नि० ५।६५ से ६७; १४।६।१८१४१ थिरसंघयण (स्थिरसंहनन) दसा० ४।६ थिरीकरण (स्थिरीकरण) उ०२८।३१ थिल्लि (दे०) अ० ३६२. दसा० ६१३ थी (स्त्री) उ०१६।१,३ से ६,११ थीकहा (स्त्रीकथा) उ० १६१२,११ थीणगिद्धि (स्त्यानगद्धि) उ० ३३।५. अ० २८२ थीहु (स्तिभु) उ० ३६।६८ थुइ (स्तुति) उ० २६।४२ थुणित्ताण (स्तुत्वा) उ० २००५८ थूण (स्थूण) नि० १३.६; १४।२८; १६.४६%3; १८॥६० थूणा (स्थूणा) क० ११४७ थूभ (स्तूप) अ० ३६२ थूभमह (स्तूपमह) नि० ८।१४ थूभिंद (स्तूपेन्द्र) नं० ३८।१३ थूल (स्थूल) द० ४ सू० १३,१५; ७।२२ थूलभद्द (स्थूलभद्र) नं० गा० २४ सू० ३८।१२. ५० १७११२ थूलवय (स्थूलवचस्) उ० १११३ थेज्ज (स्थैर्य) ५० २३८. व० ३६ थेर (स्थविर) द०६।४ सू० १ से ३. उ०२७।१. अनं० २० से २२. दसा० १११ से ३; २११ से ३; ३।१ से ३, ४।१ से ३,२३; ५१ से ३; ६।१ से ३,१८,७।१ से ३.३५. प०१८३, १८४,१८६ से २२०,२२२,२२७,२२८,२३८, २५८,२७१. क० ३।१३,२२; ४११६; ५।४०. व०१।१६ से २२; २।२५,२८ से ३०, ३१२, ६४१६ से २३; ५।१७,१८, ६११; ८।१,५; १०।४०. नि० १२।२६; १७।१५१ दइय (दयित) उ० १६०२. नं० गा० २७. प० २६ दइया (दतिका) अ० ३७७ दंड (दण्ड) आ० ४।८. द० ४ सू० १०; ६।२१,२५ उ०५।८।८।१०; १२।१८,१६; १५७; १६। ६१; २०१६०,३११४. अ० ३३१,३८०,३६१, ४००. दसा०६।३।१०।१४. ५० १५. व० १०१२,४ दिंड (दण्डय) -दंडेह दसा० ६।३ दंडक (दण्डक) द०४ सू० २३. नि० २।२५,४॥ २३ दंडगरुय (दंडगुरुक) दसा०६।३ दंडनायग (दण्डनायक) १० ४२ दंडपुरक्खड (दण्डपुरस्कृत) दसा० ६।३ दंडमासि (दण्डमर्षिन) दसा०६।३ दंडय (दण्डक) व० ८।५. नि० ११४०,५।१६ से २२ दंडातिय (दण्डायतिक) दसा० ६।२६ दंडारक्खिय (दण्डारक्षिक) नि० ६।२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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