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________________ दंडासणिया-दगतीर दंडासणिया (दण्डासनिका) क० ५।२३ ६।१७; १३; १९८४; २२॥२६; २३।३३; दंडि (दण्डिन्) अ० ३३१. दसा० १०।१४ २४१५; २६३६,४७; २८।१ से ३,१०,११,२५, दंत (दन्त) उ० १२।२६. दसा० ७।२३; १०।१४. २६,३५, २६।१,२,१०,१५,५८,६१,७२, ३२१ नि० २।२१, ३।४७ से ४६; ४।८५ से ८७; १०८; ३३६,८,६; ३६१६६,६७ नं० गा० ४, ६३५६ से ५८; ७।४५ से ४.५; १११४२ से ४४; २८,२६; सु० ६५. अ० ५०,२८२,३३६, १५४४ से ४६, १३० से १३२; १७१४६ से ५१४,५४६,५५२,६६८,६६५. दसा० ५।१६; ४८,१०० से १०२ १०१६,१४,३३. ५० १०,२७,६६,७४,८१,८७, दंत (दान्त) द० ११५; ३।१३; ४६; ५।६ ; ६।३; ६६,१०८,११०,११५,१२६,१३०,१६०.१६६. ८।२६६४५. उ० १११५,१६; २।२७; ११॥ क० ११४७ ४; १२१६१; १६।१५; २०१३२,३४,५३; ३४।। दसणमोहणिज्ज (दर्शनमोहनीय) अ० २७६,२८२ २७,२६,३१,३५।२७. दसा० ५।७।४; १०।१४. दंसणसंपन्नया (दर्शनसम्पन्नता) उ० २६।१,६१ प० २१,२२ दंसणसावग (दर्शनश्रावक) दसा० ६८ दंतकम्म (दन्तकर्मन) नि०१२।१७ दंसणसावय (दर्शनश्रावक) दसा० १०।३० दंसकार (दन्तकार) अ० ३६० दसणायार (दर्शनाचार) नं० ८१ दंतपक्खालण (दन्तप्रक्षालन) अ० १६ दंसणावरण (दर्शनावरण) उ० ३३।२, ६. दसा दंतपाय (दन्तपात्र) नि० ११।१ से ३ ५७६ दंतपहोयण (दन्तप्रधावन) द० ३।३ दसणावरणिज्ज (दर्शनावरणीय) उ० २६७२. दंतबंधण (दन्तबन्धन) नि० १११४ से ६ अ० २८४ दंतमल (दन्तमल) नि० १।३०; ३।६८, ४११०६; दंसमसग (दंसमशक) उ० २ सू० ३; गा० १० ६१७७; ७६६; १११६३; १५२६५,१५१, १७। सणि (दर्शनिन) अ० ३३६ ६७,१२१ दंसणिया (दर्शनिका) ५० ६६ दंतमालिया (दन्तमालिका) नि० ७.१ से ३, १७॥ दंसि (दशिन्) उ० ६।१७. दसा० ६।२।२२ ३ से ५ दंसिय (दर्शित) उ० २६।७४. अनं० ८. अ० १६, दंतवण (दे०) द. ३६ ३७,६०,८४,१०६,५६६,६२६,६३८,६५०, दंतवीणिया (दन्तवीनिका) नि० ५।३७,४६. दंतसोहण (दन्तशोधन) द०३।१३. उ० १६।२७ दक्ख (दक्ष) अ० ४१६. दसा० १०॥११. ५० ४२, दंतो? (दन्तोष्ठ) अ० २६६ ७३,११२,१२६,१६५ दंद (द्वन्द्व) अ० ३५०,३५१ दक्ख (दाक्ष्य) उ० १।१३ दंभ (बहुल) (दम्भबहुल) दसा० ६।४ दक्खपतिण्ण (दक्षप्रतिज्ञ) ५० ७३,११२,१२६, दंस (वंश) उ० १५॥४; १६।३१; २१।१८ दक्खवन (द्राक्षावन) अ० ३२४ दस (दर्शय) -दंसिज्जइ अ० ६०६. दक्खिण (दक्षिण) क० १।४७ -दंसिज्जति नं०६६. -दसति दसा० दग (दक) आ० ४१६. द० ५।४५; ८।२,६. ५० ५७।४ २६,२५३. क० १।१६; ५।१२ दंसण (दर्शन) आ० ४।३,८; ५२, ६।११. द०४। दगट्ठाण (दकस्थान) नि० ८।४; १५७० २१,२२,५१७६; ६।१७।४६. उ० २ सू०३; दगतीर (दकतीर) नि० ८।४; १५॥७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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