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________________ तेरसमी-थावर १४३ तेरसमी (त्रयोदशी) व० १०॥३ तोरण (तोरण) द० ७।२७. अ० ४१०. दसा० तेरसी (त्रयोदशी) ५० १७,५६,१८०. व० १०॥३ १०।१४. ५०६२ तेरासिय (त्रैराशिक) नं० १०१,१०३.८० १६४ तोलेउं (तोलयितुम् ) उ० १६०४१ तेरिच्छ (तैरश्च) उ०२५।२५; ३११५ Vतोस (तोषय) -तोसए द०६।१६ तेरिच्छिय (तैरश्चक) उ०२६।३ तोसिय (तोषित) उ० २३।८६ तेलोक्क (त्रैलोक्य) नं०६५. अ० ५०,५४६. ५० त्ति (इति) उ० ११२. नं० गा० २०. अ०६ ७४ त्थ (सं०) अ० ३६८ तेलोक्कनायय (त्रैलोक्यज्ञातक) प० ४७,४६ तेल्ल (तेल) द० ६।१७. उ० १४११८; २८।२२. अ० १६. दसा० १०।११.५० ४२. क० २१८, थंडिल (स्थण्डिल) दसा० ७।२१,२८,३१,३३. ५॥३६. नि०११४;३।१८,२४,३०,३८,३६,५२, क० ४।१२ से १४. व० ७।२२;८।१३ से १५. ६१,४१५६,६२,६८,७६,७७,६०,६६,६५, नि० ४।११० १७,२७,३३,३६,४७,४८,६१,७०, ७।१६,२२, थंभ (स्तम्भ) द० ६।१,५२. उ०११॥३. अ०६१३ २८,३६,३७,५०,५६; ११३१३,१६,२५,३३, थंभिय (स्तम्भित) दसा० १०१११. ५०१०,४२ ३४,४७,५.६; १३।३६; १५।१५,२१,२७,३५, थण (स्तन) अ० ३१६.५० २४. नि० ७।१३ ३६,४६,५८,१०१,१०७,११३,१२१.१२२, थणग (स्तनक) द० ५।४२ १३५,१४४; १७४१७,२३,२६,३७,३८,५१, थणिय (स्तनित) उ०१६ सू० ७; गा० ५; ६०,७१,७७,८३,६१,६२ १०५,११४ ३६।२०६. अ० ५३३,५६६ तेल्लचम्म (तैलचर्मन्) वसा० १०।११ थणियकुमार (स्तनितकुमार) अ० २५४,४४५, तेल्लपेला (तैलपेटा) दसा० १०॥२५,२६ ४४६,४७० तेवट्ठि (त्रिषष्टि) ५० १६५ थद्ध (स्तब्ध) द० ६।२०. उ० ११।२,६; १७१५, तेवीस (त्रयोविंशति) आ० ४१८. उ० ३१११६. ११; २७।१०. दसा० ६।२।२५ नं. ८२. ५० २ थल (स्थल) उ० ८।६; १२।१२; १३।३०. दसा० तेस? (त्रिषष्टि) नं० ८२ ७।२०. प० २३२. क० ४।३०. नि० १८६,७ तेसीइम (व्यशीत, त्र्यशीतितम) १० १७ थलगय (स्थलगत) नि० १८।२०,२४,२८ से ३२ तेसीति (त्र्यशीति) प० १२४ थलयर (स्थलचर) उ० ३६।१७१,१७६,१८४, तेहत्तरि (त्रिसप्तति) अ० ४१७।३ १८६. अ० २५४ तो (ततस ) द० ५।९५. उ० ८।३।६।६०; २३।६१; थलि (स्थलि) उ० ३०।१७ २६:२४. अ० ५५७ थवथुइमंगल (स्तवस्तुतिमङ्गल) उ० २६।१,१५ तोण (तूण) दसा० १०।१४ थामव (स्थामवत्) उ० २१२,२२ तोत्त (तोत्र) उ० १६५६ थारुगिणी (थारुकिनी) नि०६।२६ तोत्तगवेसय (तोत्रगवेषक) उ० ११४० Vथाव (स्थापय्) -थावए उ० २।३२ तोत्तय (तोत्रक) उ० २७१३ थावर (स्थावर) द० ४ सू० ११; ५५; ६।६,२३; तोधि (अवधि) दसा० ५।७।५ १०।४. उ०५८।८।१०; १९८६; २०१३५, तोमर (तोमर) दसा० १०.१४ २५।२२; ३५९,३६६६८,६६,१०६. नं० ८१ तोय (तोय) ५० २४,३१ से ६१,१२३. अ० ७०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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