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________________ छिदत-जइय ११६ २१२ १६८६. ---छिदति १२२८. -छिदसि अ० छेइत्ता (छित्वा) नं० १२० ५५५.छिदामि अ० ५५५.-छिदाहि द० २२५. छेओवट्ठाण (छेदोपस्थान) उ०२८।३२ -छिदिस्सामि नि० ११२८.--छिदे द०१२. छेत्तु (छत) उ० २०१४८ -छिदेज्जा द० ८।१० छेत्तुं (छेत्तुम्) अ० ३६८ छिदंत (छिन्दत्) नि० १।२८, छेत्तूण (छित्वा) उ० ७।३ छिदमाण (छिन्दत्) अ० ५५५ छेद (छेद) दसा० ७।८ छिदाव (छेदय)-छिदावए द० १०॥३. उ० छेद (छिद)-छेदेइ दसा० १०॥३१. –छेदेति दसा० १०॥३३३ छिदित्तु (छित्त्वा) द० १०।२१. उ० १४१३५ छेदेत्ता (छित्वा) दसा० १०।३१ छिदित्तु (छेदयितृ) दसा० ४।१८ छेदोवट्ठाणचरित्तलद्धि (छेदोपस्थापनचरित्रलब्धि) छिदिया (छित्त्वा) उ० १०॥३७ अ० २८५ छिज्ज (छिद)-छिज्जइ अ० ४१६. -छिज्जेज्ज छेदोवट्ठावणियचरित्त (छेदोपस्थापनिकचरित्र) अ० ३६८ अ० ५५३ छिण्ण (छिन्न) अ० ४१६ छेदोवट्ठावणियसंजयकप्पट्टिइ (छेदोपस्थापनिकछित्ता (छित्त्वा) उ०१४।४८. दसा०५७४१६ संयतकल्पस्थिति) क० ६।२० छिदलिधारय (दे० शिखाधारक) दसा०६।१७ छेय (छेक) द०४।१०,११. अ० ४१६ छिद्द (छिद्र) उ० २६।१२ छेय (छेद) उ० ७।१६; ३०।१३. दसा० १०१११, छिन्न (छिन्न) ८० ४ सू० २२. उ०१४।२६,४१; १४. प० ४२. व० १११६ से ३२; ३।२; १५।१.७; १६०५१,५४,५५,६०,६२,६६; ४।११ से १७, १६,२१,२३, ५१११ से १४; २३।२८,३४,३६,४४,४६,५४,५६,६४,६६,७४, ६।१,४,५ ७६,८५,८६; २५॥३४. दसा० ६।६. ५० ८४, छेयण (छेदन) उ० २६४,६१ १०६,२२४,२६१ छेयणग (छेदनक) अ० ४६० छिन्नगंथ (छिन्नग्रन्थ) ५० ७८ छेलिय (दे०) नं० ६० छिन्नच्छेयन इय (छिन्नच्छेदनयिक) नं० १०३ छिन्नसोय (छिन्नशोक) उ० २११२१ ज (यत्) आ० २१६. द० १११, उ० ११२१. नं० छिन्नाल (दे०) उ० २७१७ गा० ३३. अनं० ६. अ० ७. वसा० ३।३.५० छिन्नावाय (छिन्नापात) उ० २।५. क० ४१२८ ४. क० ११३४. व० १११. नि० १११ छिवा (दे०) दसा० ६।३ जइ (यदि) द० २।६. उ० १११७. नं० २३. छिवाडी (दे०) द० ५।१२० जोनं० ३. अ० ३. दसा० १०१२२ छीय (क्षुत्) आ० ४।५, ५॥३. नं० ६० जइ (यति) दचू० २।६ छुभित्ता (क्षिप्त्वा) उ० १८।३ जइण (जविन्) अ० ४१६. प० १५ छुरिया (क्षुरिका) उ० १९६२ जइत्ता (जित्वा) उ० ६।३५ छुहा (क्षुधा) उ० १९१८,२०,३१ जइत्ता (याजयित्वा) उ०९।३८ छुहाकम्मत (सुधाकान्त) दसा० १०।३ जइय (यष्ट) उ० २५॥३६ छूढ (लिप्त) वचू० ११५. उ० २५४४० जइय (जयिक) ५० ५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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