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उवासगदसाओ
वीइक्कंताई। पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा बट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ' 'पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणरस इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं कंपिल्लपुरे नयरे बहूणं जाव' आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कडंबस्स मेढी जाव' सव्वकज्जवडावए, तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मपत्ति उवसंपज्जित्ता ण
विहरित्तए॥ ३४. तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि
परिजणं च प्रापुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहारो पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता कंपिल्लपुरं नयरं मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मपण्णत्ति उवसंपज्जित्ता
णं विहरइ॥ कुंडकोलियस्स उवासगपडिमा-पदं ३५. "तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए पढम उवासगपडिम उवसंपज्जित्ता णं
विहरइ॥ ३६. तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए पढम उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं
अहामग्गं अहातच्चं सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ ।। ३७. तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए दोच्चं उवासगपउिम, एवं तच्चं, चउत्थं,
पंचमं, छठें, सत्तमं, अट्ठमं, नवमं, दसमं, एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्प अहामग्गं अहातच्च सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तोरेइ कित्तेइ
प्राराहेइ॥ ३८. तए णं से कुंडकोलिए समणोवासए इमेणं एयारूवेणं अोरालेणं विउलेणं
१. सं० पा०-कदाइ जहा कामदेवो तहा जेट्ठ- ४. पू०-उवा० ११५७-५६ ।
पत्तं ठवेत्ता तहा पोसहसालाए जाव धम्म- ५. सं० पा०-एवं एक्कारस उवासगपडिमाओ। पण्णत्ति।
तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरुणज्झए विमाणे २. उवा० १।१३।
जाव अंतं काहिइ। ३. उवा० १११३ ।
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